Dengue in Prayagraj: गंगा नदी के तटीय इलाकों में डेंगू बेकाबू, अब तक 944 लोग हुए बीमार
Dengue in Prayagraj डेंगू फैलने की शुुरुआत शहर के गोविंदपुर की चिल्ला मलिन बस्ती से हुई थी। वहां शुरुआती दिनों में आधे घंटे के अंतराल में दो लोगों की मौत ने सरकारी तैयारियों की पोल खोल दी थी। गंगा के तटीय क्षेत्रों में वैसे ही हालात बने हैं।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। प्रयागराज में डेंगू का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। गंगा के तटीय इलाके अधिक प्रभावित है। तेलियरगंज से लेकर सलोरी-बघाड़ा तक डेंगू का प्रकोप कुछ ज्यादा ही है। शहर में राजापुर के कछारी क्षेत्र की बस्तियाें के लोग भी डेंगू मच्छरों से दहशत में हैं। घरों में एक-दो या कहीं-कहीं पूरा परिवार इससे पीडि़त है। बीते दो महीने में कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। मलेरिया विभाग की अधिकृत रिपोर्ट ही बता रही है कि जिले में पिछले 24 घंटे में 18 नए रोगियों सहित डेंगू पीडि़तों की संख्या अब तक 1000 के करीब (वास्तविक 944) हो चुकी है। अस्पतालों में डेंगू वार्ड मरीजों से भरे हैं।
डेंगू के ये हैं आंकड़े
- 944 कुल मरीज
- 688 शहरी क्षेत्र में
256 ग्रामीण क्षेत्र में
18 नए मरीज 24 घंटे में
33 मरीज बेली अस्पताल में भर्ती
17 मरीज एसआरएन में हैं भर्ती
08 मरीज काल्विन अस्पताल में भर्ती
70 कर्मचारी लगे हैं मलेरिया विभाग के
82 कर्मचारी शहर में लगे हैं नगर निगम के।
मलेरिया विभाग व नगर निगम का प्रयास पर्याप्त नहीं
डेंगू फैलने की शुुरुआत गोविंदपुर की चिल्ला मलिन बस्ती से हुई थी। वहां शुरुआती दिनों में आधे घंटे के अंतराल में दो लोगों की मौत ने सरकारी तैयारियों की पोल खोल दी थी। गंगा के तटीय क्षेत्रों में वैसे ही हालात बने हैं। मलेरिया विभाग के दावे के विपरीत तेलियरगंज, शिवकुटी, गोविंदपुर, चिल्ला बस्ती, मेला मार्ग, सलोरी, छोटा बघाड़ा, बड़ा बघाड़ा और राजापुर कछार के तराई क्षेत्र में बसे हजारों लोगों के बीच डेंगू फैलाने वाले एडीज मच्छरों की भरमार है। जबकि इतने विशाल क्षेत्र में मलेरिया विभाग और नगर निगम की टीमें ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही हैं।
गोविंदपुर व शिवकुटी में स्थिति चिंताजनक
गोविंदपुर और शिवकुटी में अब तक बुखार पीडि़त सात लोगों की मौत हो चुकी है। इन सभी के परिवार का दावा है कि मौतें डेंगू से हुई हैं। किसी की जान प्राइवेट अस्पताल या झोला छाप डाक्टरों से इलाज कराने के दौरान हुई और कुछ लोगों की मौत दूसरे जिलों में अस्पतालों में भर्ती रहने के दौरान हुई।
यहां मिले डेंगू के नए मरीज
चौक, अल्लापुर, दारागंज, सुलेमसरांय, तेलियरगंज, ट्रांसपोर्टनगर, प्रीतम नगर, रसूलाबाद, जार्जटाउन, सिविल लाइंस, कर्नलगंज, बेलीगांव, रामबाग, चौफटका, ममफोर्डगंज, बहरिया।
प्राइवेट अस्पतालों में हालात
शहर के प्राइवेट अस्पतालों में भी करीब एक सैकड़ा डेंगू मरीज भर्ती हैं। अस्पताल संचालक डाक्टरों का कहना है कि मरीज गंभीर हालत में आ रहे हैं। कोई एक सप्ताह में स्वस्थ हो पा रहा है तो कुछ लोगों को पूरी तरह ठीक होने में दो सप्ताह भी लग जा रहे हैं।
हालात खराब नहीं, नियंत्रण में हैं : जिला मलेरिया अधिकारी
जिला मलेरिया अधिकारी आनंद कुमार सिंह ने कहा कि हालात इतने खराब नहीं जितने कि लोग बता रहे हैं। सभी प्रमुख प्राइवेट अस्पतालों से भी नमूने माइक्रोबायोलाजी लैब जा रहे हैं। सरकारी और प्राइवेट अस्पताल मिलाकर प्रत्येक दिन औसत 70 नमूने ही लैब में प्राप्त हो रहे हैं। जबकि पाजिटिव रिपोर्ट 15 से 18 लोगों की आ रही है। कहा जा सकता है कि डेंगू खत्म नहीं हुआ है लेकिन नगर निगम की सहयोगात्मक गतिविधियों के चलते नियंत्रण में है।
लार्वा को डुबो कर नष्ट करने में मिट़्टी का तेल ही काफी
डेंगू के डर और साफ पानी में लार्वा पनपने से अगर आप निजात पाना चाहते हैं तो मिट्टी का तेल या जला हुआ मोबिल भी आपकी यह समस्या दूर कर सकता है। लार्वा को नष्ट करने के लिए यह कीटनाशक का काम करते हैं। मलेरिया विभाग ने भी पायरेथ्रम दवा के छिड़काव में मिट्टी का तेल इस्तेमाल किया और पानी में पनप रहे मच्छरों को भीतर ही डुबो देने में इसकी बड़ी उपयोगिता है। मलेरिया विभाग के अनुसार कहीं दुकान या अपार्टमेंट के बेसमेंट, खाली पड़े प्लाट, गड्ढे, आंगन या छत पर रखी कूलर की टंकियों, वाटर टैंक में कहीं लार्वा दिखें तो बिना देर किए उसमें 50 से 100 ग्राम तक मिट्टी का तेल या जला हुआ मोबिल ही पानी में डालें। क्योंकि लार्वा पानी की सतह पर लटकते रहते हैं। मिट्टी का तेल या जला मोबिल डाल देने से सर्फेस्टेंशन कम हो जाती है और सतह पर लटक रहे लार्वा उसके प्रभाव से पानी में ही डूब कर मर जाते हैं। लार्वा बड़े खतरे के रूप में दिखें तो लोग फौरन इस नुस्खे का इस्तेमाल करें।
मलेरिया अधिकारी ने लोगों से की अपील
जिला मलेरिया अधिकारी आनंद कुमार सिंह ने बताया कि मिट्टी का तेल या जला मोबिल पानी में डालना लार्वा को नष्ट करने का सर्वोत्तम उपाय है। इसके लिए थोड़ा प्रयास लोग कर लें तो डेंगू का प्रभाव कम हो सकता है।