हाईस्पीड ट्रेन गुजरेगी प्रतापगढ़ के कुंडा और लालगंज से, रेल कॉरिडोर में जाएगी 2.59 हेक्टयर जमीन
केंद्र सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत यह रेलवे लाइन कुंडा व लालगंज के 38 गांवों के बीच होते हुए गंगा एक्सप्रेस वे के बाएं छोर से होकर गुजरेगी। दिल्ली से चलकर वाराणसी तक जाएगी। जनपद में इस रेलवे लाइन की लंबाई 38.575 किलोमीटर होगी।
प्रयागराज, जेएनएन। प्रतापगढ़ जिले के दो तहसील क्षेत्रों से होकर गुजरने वाले हाईस्पीड रेल कॉरिडोर पर काम काफी आगे बढ़ गया है। गंगा एक्सप्रेस-वे के बगल से योजना के अंतर्गत हाई स्पीड ट्रेन का मार्ग बनेगा। केंद्र सरकार की तेजी के अनुसार दोनों तहसील प्रशासन लगातार दिल्ली में नेशनल हाईस्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड के अधिकारियों के संपर्क में बने हुए हैं।
जमीन के अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू
केंद्र सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत यह रेलवे लाइन कुंडा व लालगंज के 38 गांवों के बीच होते हुए गंगा
एक्सप्रेस वे के बाएं छोर से होकर गुजरेगी। दिल्ली से चलकर वाराणसी तक जाएगी। जनपद में इस रेलवे लाइन की लंबाई 38.575 किलोमीटर होगी। इसके लिए 75.20 हेक्टेयर व सरकारी भूमि की 2.59 हेक्टेयर भूमि चाहिए। इस ट्रेन की अधिकत्तम स्पीड 350 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। न्यूनतम स्पीड 250 किलोमीटर की होगी। वैसे तो इसके लिए दिल्ली से वाराणसी के बीच 13 रेलवे स्टेशन बनाए जााएंगे, पर इसमें प्रतापगढ़ नहीं होगा।
यहां बनेंगे रेलवे स्टेशन
हाई स्पीड ट्रेन के लिए बन रहे स्टेशनों में दिल्ली, नोएडा, जेवर, मथुरा, आगरा, इटावा, कन्नौज, लखनऊ, संत रविदास नगर, वाराणसी और अयोध्या शामिल हैं। इस रेलवे लाइन की लंबाई करीब 945 किलोमीटर की होगी। कुछ दिनों पहले रेलवे अफसरों कुंडा आकर तहसील में कुंडा व लालगंज के तहसील एसडीएम व टीम के साथ मैराथन बैठक किए थे। इसमें कार्पोरेशन के अधिकारियों ने बताया था कि जल्द ही हाईस्पीड रेल कार्रिडोर का काम शुरू हो जाए्गा। बैठक में की गई हर चर्चा की समग्र रिपोर्ट बनाकर सरकार को सौंपी गई है। चुनाव के बाद किसानों की जमीन के बदले मुआवजा देने का काम शुरू कर दिया जाएगा। तहसीलदार कुंडा राम जन्म का कहना है कि दिल्ली से बराबर संपर्क बना है। टीम का पूरा सहयोग किया जा रहा है। किसानों की सूची बनाई जा रही है। लालगंज में भी इसको लेकर संयुक्त बैठक हो चुकी है।
केवल देख सकेंगे लोग
रेल कॉरिडोर योजना का कोई स्टेशन प्रतापगढ़ या आसपास नहीं होगा। हवा से बातें करते हुए ट्रेन इधर से जाएगी व आएगी। यहां के लोग व जमीन देने वाले किसान केवल इस नजारे को देख सकेंगे। उसमें सवार होने के लिए महानगरों में जाना होगा।