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Death Anniversary of Chandrasekhar Azad : शचींद्र सान्याल की पत्‍नी ने मांग में सजा लिया था आजाद की अस्थियों का भस्म

Death anniversary of Chandrasekhar Azad आजाद का अस्थि कलश पीडी टंडन पार्क में जनता के दर्शनार्थ रखा गया था। उस समय क्रांतिकारियों के अगुवा शचींद्रनाथ सान्याल की पत्नी भी पहुंची थीं। उन्होंने श्रद्धांजलि देते हुए कलश से भस्म लेकर अपनी मांग में सजाया तो भस्म की लूट मच गई।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2021 07:00 AM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 09:21 AM (IST)
Death Anniversary of Chandrasekhar Azad : शचींद्र सान्याल की पत्‍नी ने मांग में सजा लिया था आजाद की अस्थियों का भस्म
शचींद्र नाथ सान्याल की पत्‍नी ने अपनी मांग में आजाद की अस्थियों का भस्म भरकर भावभीनी श्रद्धांजलि दी थी।

प्रयागराज, जेएनएन। अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद के प्रति देश के लोगों में क्या भाव और अनुराग था। इसका अंदाजा चला उनकी शहादत के बाद हुए अंतिम संस्कार के रोज। इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में तब पूरा शहर ही उमड़ पड़ा था उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने। अमर शहीद की मृत्यु को लेकर गम और गुस्सा था। लोगों ने अंग्रेजों द्वारा लगाए गए कर्फयू को धता बताते हुए जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किए। क्रांतिकारियों के अगुवा कहे जाने वाले शचींद्र नाथ सान्याल की पत्‍नी ने अपनी मांग में आजाद की अस्थियों का भस्म भरकर भावभीनी श्रद्धांजलि दी थी।  

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रसूलाबाद घाट पर किया गया था अमर शहीद का अंतिम संस्कार

इलाहाबाद म्यूजियम के शोध अधिकारी डा. राजेश मिश्रा ने बताया कि अल्फ्रेड पार्क (आजाद पार्क) में अंग्रेजी फौज के छक्के छुड़ाते हुए खुद की गोली से शहीद महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद का अंतिम संस्कार इलाहाबाद के रसूलाबाद घाट पर किया गया था। उनकी शहादत पर लोगों में काफी गुस्सा था जिसके चलते अंग्रेज सरकार ने शहर में उस दिन कर्फयू लगा दिया था लेकिन लोगों ने उसकी परवाह नहीं की और आजाद को श्रद्धांजलि देने घरों से बाहर निकले। पीडी टंडन पार्क पर भारी भीड़ जुटी थी।

लोग उठा ले गए थे भस्म, प्रवाहित करने को भी नहीं बची थी

डा. मिश्रा ने बताया कि आजाद के प्रति लोगों का बहुत गहरा लगाव था। उनका अस्थि कलश पीडी टंडन पार्क में जनता के दर्शनार्थ रखा गया था। उस समय क्रांतिकारियों के अगुवा कहे जाने वाले शचींद्रनाथ सान्याल की पत्नी भी पहुंची थीं। उन्होंने अमर शहीद को श्रद्धांजलि देते हुए मंच पर रखे कलश से भस्म लेकर अपनी मांग में सजाया तो भस्म की लूट मच गई। लोगों ने भस्म को लूट लिया। गंगा में प्रवाहित करने तक को भस्म (राख) नहीं बची थी। इसका जिक्र आजाद से मुकाबिल हुई अंग्रेजों की सैन्य टुकड़ी में शामिल रहे गौड़ नामक एक हवलदार ने अपनी डायरी में किया था।

स्वराज भवन के सामने कमला नेहरू ने किया था चक्का जाम

अमर सपूत की मौत को लेकर लोगों में भारी गुस्सा था। इसको देखते हुए अंग्रेजों ने शहर में कफ्र्यू लगा दिया था लेकिन लोगों ने कफ्र्यू की परवाह नहीं की और घरों से बाहर आकर शहीदे आजम को श्रद्धांजलि दी और अंग्रेजों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया। पंडित जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू ने भी उस समय अपने स्वराज भवन के सामने चक्का जाम का नेतृत्व किया था। अंग्रेजों के विरोध में नारे लगाए थे।

लीडर अखबार ने प्रकाशित की थी पोस्टमार्टम रिपोर्ट

अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की मौत होने के दो माह बाद आवर लीडर अखबार ने उनके पोस्टमार्टम की रिपोर्ट प्रकाशित की थी। 21 अप्रैल 1931 को प्रकाशित की गई पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया था कि चंद्रशेखर आजाद की मौत उनकी कनपटी में गोली लगने से हुई थी। पोस्टमार्टम में वह गोली उनकी कनपटी में फंसी पाई गई थी।


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