रिटर्न दाखिल करने की तिथि बढ़ी पर समस्याएं बरकरार
कैट के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र गोयल का कहना है कि जो व्यापारी कुछ समय समाधान योजना और कुछ समय सामान्य में रहे। उन्हें अलग-अलग रिटर्न फाइल करना है लेकिन पोर्टल रिसीव नही कर रहा है।
प्रयागराज, जेएनएन: वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) काउंसिल ने वार्षिक रिटर्न दाखिल करने के लिए समय सीमा बढ़ा दी है, लेकिन वार्षिक रिटर्न फार्म जीएसटीआर-9 और जीएसटीआर-9 सी फार्म की विसंगतियां दूर नहीं की गईं। इससे व्यापारियों की समस्याएं बरकरार हैं।
जीएसटी काउंसिल ने भले ही व्यापारियों की सहूलियत के मद्देनजर रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा 30 जून से बढ़ाकर 30 अगस्त कर दी है, लेकिन न तो पोर्टल की रफ्तार बढ़ाने की दिशा में कोई कदम उठाया गया, न ही फार्मों की जटिलताएं दूर करने की कोशिश की गईं। लिहाजा, व्यापारियों ने फार्म 3 बी में माल की जो खरीद-बिक्री दिखाई है, पोर्टल पर दिखा रहे डाटा से वह मिलान नहीं कर रहा है। बिक्री का जो विवरण पोर्टल पर अपलोड किया गया था, वह विक्रेता के यहां दिखाई दे रहा है, लेकिन क्रेता के यहां वह शो नहीं कर रहा है। यही नहीं जीएसटीआर-1 में एचएसएन कोड भरना अनिवार्य नहीं था मगर अब जीएसटीआर-9 में इसे अनिवार्य कर दिया गया है। व्यापारियों ने इसका ब्योरा नहीं रखा है, इसलिए उसे मुहैया कराना उसके लिए मुश्किल हो रहा है। कैट के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र गोयल का कहना है कि जो व्यापारी कुछ समय समाधान योजना और कुछ समय सामान्य में रहे। उन्हें अलग-अलग रिटर्न फाइल करना पड़ रहा है, लेकिन पोर्टल उसे रिसीव नहीं कर रहा है।
दो तरह का भरना है फार्म:
द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया प्रयागराज शाखा के अध्यक्ष गौरव अग्रवाल ने बताया कि कारोबारियों को दो तरह का रिटर्न फार्म जीएसटीआर-9 और जीएसटीआर-9 सी भरना है। जीएसटीआर-9 सभी रजिस्टर्ड व्यापारियों को भरना है, जबकि जीएसटीआर-9 सी उन व्यापारियों को भरना है, जिनका सालाना टर्नओवर दो करोड़ से ज्यादा है। हालांकि, दोनों फार्म भरने में बड़ी दिक्कतें पेश आ रही हैं।
किस तरह की आ रही हैं दिक्कतें:
-माहवार रिटर्न, जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-3 बी कायदे से नहीं भरने के कारण वार्षिक रिटर्न फार्म जीएसटीआर-9 भरने में दिक्कत आ रही है। खरीद एवं बिक्री की एचएसएन रिपोर्ट मांगी गई है, जिसके बनने में बहुत परेशानी हो रही है। पोर्टल भी बहुत धीरे चल रहा है।
-जीएसटीआर-9 सी फार्म में लाभ-हानि की बैलेंस सीट नहीं संलग्न हो रही है। रेटवाइज टर्नओवर और टैक्स मांगा गया है, जिसे बनाने में बड़ी दिक्कतें हो रही हैं। फार्म बहुत लंबा और जटिल है।
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