खाते में दो रुपये डाल 20 हजार उड़ा रहे शातिर, साइबर अपराधी अपना रहे ठगी के नए तरीके
केवाइसी अपडेट करने जैसे कई तरह का झांसा देकर ठगी करने वाले शातिर अब नया ट्रेंड अपना रहे हैं। इसके तहत वह धोखाधड़ी तो करते हैं मगर पहले शिकार बनाने वालों पर विश्वास बढ़ाते हैं। शहर में तमाम लोग हैं जो इस तरह की धोखाधड़ी का शिकार हो चुके हैं
केस-1
सिविल लाइंस निवासी संजय कुमार के पास अंजान नंबर से काल आई। उनसे एक शख्स ने किराए पर कमरा लेने की बात कही। दस हजार रुपये मासिक किराया तय किया और 20 हजार एडवांस भेजने की बात कही। उनके खाते में पहले एक रुपये भेजकर वेरीफाई किया और फिर धोखाधड़ी करके कई बार में करीब 80 हजार रुपये खाते से उड़ा दिए।
केस-2
शिवकुटी निवासी गणेश प्रसाद मिश्रा के पास भी एक व्यक्ति ने खुद को पूर्व परिचित बताते हुए मोबाइल पर काल किया। इसके बाद उनके एकाउंट में अपना पैसा मंगवाने की बात कही। पेटीएम एकाउंट देने पर शातिर ने पहले एक फिर दो रुपये डाले। इसके बाद दो बार में 20-20 हजार रुपये करके कुल 40 हजार रुपये उनके ही खाते से गायब कर दिया।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। यह दो उदाहरण पर्याप्त है साइबर अपराधियों के नए तरीके से काम करने के लिए। साइबर शातिर अब आनलाइन ठगी के लिए पहले आम लोगों का विश्वास जीतने पर जोर दे रहे है। इसके तहत ही वह किसी के खाते में पहले एक से लेकर 10 रुपये तक डाल देते हैं। पैसा आने पर व्यक्ति उस शातिर को अपराधी न समझने की भूल कर बैठता है, मगर जब उनके बैंक खाते से बड़ी रकम निकलती है तो ठगी का पता चलता है।
आनलाइन बैंकिंग करने वाले निशाने पर
लकी ड्रा, सिम कार्ड ब्लाक होने, केवाइसी अपडेट करने जैसे कई तरह का झांसा देकर ठगी करने वाले शातिर अब नया ट्रेंड अपना रहे हैं। इसके तहत वह धोखाधड़ी तो करते हैं, मगर पहले शिकार बनाने वालों पर विश्वास बढ़ाते हैं। शहर में कई ऐसे लोग हैं जो इस तरह की धोखाधड़ी का शिकार हो चुके हैं और गाड़ी-कमाई का पैसा भी गवां चुके हैं। पुलिस का कहना है कि साइबर अपराधी सर्च इंजन गूगल पर कस्टमर केयर का नाम देकर अपना नंबर अपलोड कर देते हैं। ताकि किसी को समस्या होने पर वह समाधान करने के बहाने उनके खाते से पैसा गायब कर सकें। खासकर उनके निशाने पर आनलाइन बैंकिंग व मोबाइल एप इस्तेमाल करने वाले लोग ज्यादा होते हैं।
ऐसे करें बचाव-
- अंजान और वर्चुअल नंबर से काल आने पर रिसीव करने से बचें।
- गूगल व दूसरे सर्च इंजन पर अधिकृत वेबसाइट से ही नंबर लें।
- किसी वेबसाइट के लिंक से पहले लाक का निशान नहीं तो फर्जी।
- बैंक खाते, मोबाइल एप वालेट में एक, दो रुपये आने पर सतर्क हो जाएं।
- बैंक एकाउंट, पासवर्ड, ओटीपी किसी को भी न शेयर करें।
साइबर अपराधी ठगी के लिए लगातार अलग-अलग ट्रेंड बदलते हैं। अब वह चंद रुपये डालकर लोगों के खाते से बड़ी रकम गायब कर रहे हैं। ऐसे लोगों से सतर्कता ही बचाव है।
- राजीव तिवारी, इंस्पेक्टर साइबर थाना