Family Murder and Suicide : प्रेम प्रसंग को लेकर सीआरपीएफ आरक्षी के परिवार में थी कलह Prayagraj News
भाई ने बताया कि सीआरपीएफ जवान के प्रेम प्रसंग को लेकर पत्नी ने सास व ससुर से शिकायत की थी। पिता से पूछा था कि किसी अधिकारी ने तो फोन नहीं किया।
प्रयागराज, जेएनएन। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के आरक्षी चालक विनोद यादव की एक महिला से प्रेम प्रसंग की वजह से घर में कलह का माहौल था। पोस्टमार्टम हाउस पर मौजूद छोटे भाई अमन ने बिलखते हुए बताया कि विनोद का एक महिला से प्रेम प्रसंग चल रहा था। भाभी ने इसकी शिकायत मां और पिता से की थी, इस पर उन्होंने भाई विनोद को कई बार समझाया भी था। हालांकि पिछले दो माह से भाई और भाभी के बीच विवाद बढ़ गया था, जिससे वह परेशान थे।
पिता से पूछा था कि किसी अधिकारी ने तो फोन नहीं किया
शुक्रवार शाम भी विनोद ने अपने पिता रिटायर्ड दारोगा बाल मुकुंद यादव के मोबाइल पर कॉल किया था और पूछा था कि क्या सीआरपीएफ के किसी अधिकारी ने उनके पास फोन किया था। इस पर पिता ने कहा कि उसने ऐसा क्या काम कर दिया है। इस पर उसने फोन काट दिया। छोटे भाई ने यह भी बताया कि विनोद ने रविवार को घर आने की बात कही थी लेकिन उससे पहले ही दिल दहला देने वाली खबर आई। और इस खबर से परिवार व मुहल्ले में शोक छा गया।
घटना से परिवार के सदस्य स्तब्ध हैं
विनोद अपने परिवार के साथ जनवरी माह में घर आए थे। उनकी पत्नी व बच्चे डेढ़ माह तक गांव में ही थे। वहीं अब इस घटना से पिता, मां नवरंगी, भाई और बहन भी पूरी तरह से स्तब्ध हैं।
सेंट्रल स्कूल में पढ़ते थे बच्चे
ग्रुप सेंटर परिसर स्थित सेंट्रल स्कूल में विनोद का बेटा आठवीं और बेटी छठीं क्लास में पढ़ती थी। स्वजनों ने बताया कि विनोद की पोस्टिंग जब बाहर थी, तब भी पत्नी व बच्चे उसी आवास में रहते थे। छोटा भाई अमन ने भी तीन साल वहीं पर रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की थी।
बड़ा होने के कारण पूरे घर का चलाते थे खर्च
विनोद चार भाइयों में सबसे बड़े थे। छोटा भाई सुनील मानेसर गुजरात स्थित मारुति फैक्ट्री में नौकरी करता है। उससे छोटा प्रमोद व अमन है। उनकी चार बहनें भी हैं, जिनकी शादी हो चुकी है। विनोद के पिता बाल मुकुंद पुलिस में दारोगा के पद पर तैनात थे, तभी उनकी कस्टडी से एक अपराधी भाग गया था। इस पर उनके खिलाफ मुकदमा लिखकर विभागीय कार्रवाई हुई थी। इस कारण उन्हें पेंशन नहीं मिल रही थी। लिहाजा विनोद पर ही पूरे परिवार का खर्च उठाने की जिम्मेदारी थी। घरवाले बताते हैं कि उसका स्वभाव बेहद सरल था। विनोद के चाचा बाल गोविंद ने भी आर्थिक तंगी के चलते दो साल पहले आग लगाकर जान दे दी थी।