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Magh Mela 2021 : मौनी अमावस्या पर डुबकी के लिए संगम तीरे जन सैलाब, भोर में ही जुट गए थे लाखों स्नानार्थी

प्रशासन का आकलन है कि 40 लाख से अधिक श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगाएंगे। स्नान के लिए आठ किलोमीटर क्षेत्रफल में कुल आठ स्नान घाट तैयार किए गए हैैं। रात में जैसे ही अमावस्या तिथि लगी पुण्य की डुबकी लगाने का क्रम शुरू हो गया था

By Ankur TripathiEdited By: Published: Thu, 11 Feb 2021 06:05 AM (IST)Updated: Thu, 11 Feb 2021 04:37 PM (IST)
Magh Mela 2021 : मौनी अमावस्या पर डुबकी के लिए संगम तीरे जन सैलाब, भोर में ही जुट गए थे लाखों स्नानार्थी
सुबह से गंगा में स्नान के लिए लोग संगम समेत तमाम घाटों पर जुटे।

प्रयागराज, जेएनएन।  हर डगर, हर राह पर बस श्रद्धालु। अमौसा के मेला यानी मौनी अमावस्या की सुबह से ही यह दृश्य दिख रहा है संगम तीरे आबाद तंबुओं की नगरी का। कोरोना संक्रमण काल में शायद यह पहला मौका है जब देश अथवा विदेश में कहीं एक साथ इतनी भीड़ जुटी हो। तीर्थराज प्रयाग के माघ मेले में तीसरे और सबसे बड़े स्नान पर्व से पहले कोरोना के भय पर श्रद्धा भारी पड़ती दिखी। रात 12 बजे के बाद अमावस्या तिथि लगते ही पावन त्रिवेणी में पुण्य की डुबकियां लगने लगीं। सुबह पौ फटने के बाद तीन घंटे पुण्यकाल में स्नान के लिए लोग संगम समेत तमाम घाटों पर जुटे। प्रशासन का अनुमान है कि शाम चार बजे तक 30 लाख  लोग संगम में डुबकी लगा चुके हैं। अभी श्रद्धालुओं की भीड़ में डुबकी लगाने की आ रही है।

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 बुधवार रात ही शुरू हो गया था पुण्य की डुबकी लगाने का सिलसिला

मौनी अमावस्या स्नान पर्व के लिए माघ मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं के आने का क्रम बुधवार आधी रात बाद तक चलता रहा। मेला क्षेत्र में पहुंचे श्रद्धालु संत और कल्पवासियों के शिविर में आसरा लेते रहे। विभिन्न सेक्टरों में जाकर परिचितों, कल्पवासियों से मिलने जुलने का क्रम भी खूब चला। 10 फरवरी बुधवार रात 12:19 बजे से लगकर अमावस्या तिथि गुरुवार रात 11:48 तक रहेगी। इस बार महोदय नामक दुर्लभ संयोग है। स्नान का पुण्यकाल सुबह 6:31 से 9:30 बजे यानी करीब तीन घंटे तक था। मान्यता है कि पुण्यकाल में 33 करोड़ देवी देवता संगम में डुबकी लगाते हैैं। 

आठ किलोमीटर में आठ स्नान घाट

प्रशासन का आकलन है कि 40 लाख से अधिक श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगाएंगे। शाम चार बजे तक तकरीबन 30 लाख लोगों के डुबकी लगाने की बात बताई गई। स्नान के लिए आठ किलोमीटर क्षेत्रफल में कुल आठ स्नान घाट तैयार किए गए हैैं। संगम पर ही एक किमी में स्नान घाट पसरा है। रात में जैसे ही अमावस्या तिथि लगी पुण्य की डुबकी लगाने के साथ स्नान दान का क्रम शुरू हो गया था। मेलाधिकारी विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि पार्किंग और सुरक्षा व्यवस्था चौकस है। करीब पांच हजार से ज्यादा जवान सुरक्षा व्यवस्था में लगे हैैं। इनमें कमांडोज भी हैैं। ड्रोन कैमरे के जरिए आसमान से भी स्नान के दौरान निगरानी की जा रही है। 

मिलती है पापों से मुक्ति 

मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर मौन रखकर मन में आराध्य का जप करते हुए संगम अथवा गंगा में डुबकी लगाने से दैहिक (शारीरिक), भौतिक (अनजाने में किए गए पाप), दैविक (ग्रहों, गोचरों का दुर्योग) पापों से मुक्ति मिलती है। पितरों का तर्पण करने से उन्हें शांति मिलती है और वह आशीर्वाद देते हैैं। 

इंद्रियों को वश में करें

ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र पांडेय बताते हैं कि स्नान के बाद पीपल के वृक्ष का पूजन, तिल के लड्डू, तिल, तिल का तेल, वस्त्र, आंवला आदि दान करना पुण्यकारी  है। मौन व्रत रखने के साथ इंद्रियों को वश में रखना चाहिए। इससे आध्यात्मिक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा नीच का होता है, उन्हेंं मौनी अमावस्या के दिन दूध, चावल, खीर, मिश्री और बताशा दान करना चाहिए।

पुलिस फोर्स की चप्‍पे-चप्‍पे पर नजर

माघ मेले में मौनी अमावस्‍या को लेकर भारी पुलिस बल तैनात है। चप्‍पे-चप्‍पे पर पुलिसकर्मी तैनात हैं। आईजी और एसएसपी भी मेला क्षेत्र में पुलिसकर्मियेां को सुरक्षा को लेकर जरूरी निर्देश देते रहे।


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