आइईआरटी का लेक्चर हॉल : सवा साल में ही में पड़ गईं दरारें Prayagraj News
लापरवाही इस कदर है कि पूछिए मत। आइईआरटी का लेक्चर हॉल डेढ़ वर्ष पूर्व बना है लेकिन उसमें दरार आनी शुरू हो गई है। इसमें मानक की अनदेखी करने का आरोप लग रहा है।
प्रयागराज, जेएनएन। कभी डिप्लोमा इंजीनियरिंग के लिए प्रसिद्ध रहा तकनीकी संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल टेक्नोलॉजी (आइईआरटी) आज बदहाली पर आंसू बहा रहा है। परिसर में नई तकनीक से बनाए गए दो लेक्चर हॉल अभी संस्थान को हैंडओवर नहीं हुए, लेकिन भवन में दरारें पड़ गई हैं। ऐसे में निर्माण पर तमाम तरह के सवाल उठने लगे हैं।
करीब 27 लाख की लागत से दो लेक्चर हॉल का निर्माण किया गया है
दरअसल, आइईआरटी में इंजीनियरिंग डिग्री डिवीजन के लिए प्री फैब्रीकेटेड स्ट्रक्चर/थ्री डी ईपीएस कोर पैनल तकनीकी से ऑटो लैब के बगल दो लेक्चर हॉल का निर्माण किया गया। करीब 27 लाख की लागत से बनने वाले इस भवन के निर्माण की जिम्मेदारी एक प्राइवेट संस्था को दी गई। एक मई 2018 को इस लेक्चर हॉल का मंडलायुक्त एवं संस्थान के प्राधिकृत नियंत्रक डॉ. आशीष कुमार गोयल ने शिलान्यास किया।
लेक्चर हॉल संस्थान को हैंडओवर भी नहीं किया गया
अभी यह लेक्चर हॉल संस्थान को हैंडओवर भी नहीं किया गया। शिलान्यास के महज सवा साल में ही भवन में जगह-जगह से दरारें पड़ गईं। अब ठेकेदार मजदूरों को लगाकर सीमेंट से दरारें भरवा रहा है। ऐसे में भवन निर्माण को लेकर तमाम तरह के सवाल उठने लगे हैं। इस बारे में संस्थान के निदेशक डॉ. विमल मिश्र से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।
छात्रों को आश्वासन देकर भूला संस्थान प्रबंधन
आइईआरटी में पिछले दिनों छात्र-छात्राओं ने लैब मैटेरियल की कमी और मेन गेट बंद रहने पर जमकर प्रदर्शन किया था। इस दौरान पुलिस को लाठी पटककर छात्रों को खदेडऩा पड़ा था। अंत में पहुंचे प्रशासनिक अफसरों ने निदेशक डॉ. विमल मिश्र से बात की। इसके बाद निदेशक ने लिखित रूप से आश्वासन दिया कि सात सितंबर तक सारी मांगें पूरी हो जाएंगी। इन मांगों में छात्रों ने शौचालय का भी मसला उठाया था। मियाद पूरी होने को है लेकिन अब तक मांगों को पूरा नहीं किया जा सका। हालत यह है कि इलेक्ट्रानिक्स विभाग के टीवी लैब में 10 टीवी रखे गए हैं।
छात्र-छात्राआें का दर्द
छात्रों का कहना है कभी टीवी छूने तक नहीं दिया गया। प्रैक्टिकल के नाम पर उनसे केवल पिछले वर्ष की फाइलों को कॉपी कराया जाता है। मैकेनिक विभाग के लैब में 25 कंप्यूटर रखे गए हैं, लेकिन एक भी नहीं चलते हैं। छात्रों ने बताया कि जेनरेटर भी कभी नहीं चलता है। छात्रों का कहना है यदि मांगें पूरी नहीं हुईं तो वह फिर बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे। इसकी पूरी जिम्मेदारी संस्थान की होगी।