कोरोना वायरस बहरूपिया ही नहीं प्रयागराज के दवा कारोबारियों के लिए तो धोखेबाज भी निकला
तीसरी लहर की आहट मिलते ही व्यापारियों ने पल्स आक्सीमीटर वेपोराइजर सेनिटाइजर और मास्क के स्टाक भर भी लिए। लेकिन कोरोना की मौजूदा समय कमजोरी के चलते संक्रमितों को न पल्स आक्सीमीटर की जरूरत पड़ रही है न आक्सीजन किसी का घट रहा है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। कोरोना वायरस बहरूपिया ही नहीं, धोखेबाज भी निकला। इसे समझने में दवा और सर्जिकल के व्यापारी असमंजस में रहे। पल्स आक्सीमीटर, वेपोराइजर, सेनिटाइजर और मास्क की बिक्री औंधे मुंह गिर गई। किसी ने इनका स्टाक पहले से भर लिया था, कुछ व्यापारियों ने तीसरी लहर की वैज्ञानिक पुष्टि के बाद माल मंगाने के लिए आर्डर दे दिए थे। तीसरी लहर में कोरोना की कमजोरी ने इससे संबंधित सामग्रियों के व्यापार पर भी ग्रहण लगा दिया। हालांकि सर्जिकल व्यापारियों को इससे संतुष्टि है कि कोरोना से लोगों की जान सुरक्षित है।
वायरस का वार समझने में धोखा खा गए दवा और सर्जिकल व्यापारी
यह सभी जानते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पल्स आक्सीमीटर की बिक्री अचानक बढ़ी थी। मांग को देखते हुए कंपनियों ने इनके दाम बढ़ा दिए थे और जिन व्यापारियों के पास स्टाक पहले से भरा था वह मुनाफे में रहे। कुछ यही हाल मास्क और सेनिटाइजर की बिक्री में भी हुआ था। लोगों ने निजी इस्तेमाल के लिए मास्क खरीदा था तो तमाम स्वयं सेवी संगठनों ने बांटने के लिए मास्क बल्क में खरीदे थे।
तीसरी लहर की आहट मिलते ही व्यापारियों ने पल्स आक्सीमीटर, वेपोराइजर, सेनिटाइजर और मास्क के आर्डर दे दिए। कई व्यापारियों ने स्टाक भर भी लिए। मंशा यह भी थी कि जरूरतमंद लोगों को कहीं परेशानी न होने पाए और माल बिकने पर मुनाफा भी हो। लेकिन कोरोना की मौजूदा समय कमजोरी के चलते संक्रमितों को न पल्स आक्सीमीटर की जरूरत पड़ रही है न आक्सीजन किसी का घट रहा है।
ज्यादा नहीं फंसे पैसे
मुझे लगता है कि व्यापारियों ने माल ज्यादा नहीं मंगाया। स्टाक सभी के यहां सीमित हैं और पल्स आक्सीमीटर तो रूटीन में बिकते ही रहते हैं। मास्क की बिक्री न बढ़ी न घटी है। यह कह सकते हैं कि पिछली बार यदि किसी ने दो लाख रुपये का पल्स आक्सीमीटर मंगाया था तो इस बार 20 हजार रुपये ही फंसाए।
राना चावला, अध्यक्ष प्रयाग केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट (रीटेल) एसोसिएशन