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Coronavirus period: कोविड अस्‍पतालों में जान हथेली पर रखकर चिकित्‍सा स्‍टॉफ निभा रहे डयूटी, आइए इनका हौसला बढ़ाएं

हर पल यह खतरा मंडराता रहता है कि कहीं किसी मरीज से संक्रमित न हो जाएं लेकिन उससे बड़ी प्राथमिकता सभी की यह है कि कोरोना संक्रमित वार्ड से स्वस्थ होकर निकलें। कुछ यही हाल तेज बहादुर सप्रू चिकित्सालय (बेली अस्पताल) का भी है।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Thu, 29 Apr 2021 06:10 AM (IST)Updated: Thu, 29 Apr 2021 06:10 AM (IST)
Coronavirus period: कोविड अस्‍पतालों में जान हथेली पर रखकर चिकित्‍सा स्‍टॉफ निभा रहे डयूटी, आइए इनका हौसला बढ़ाएं
कोविड अस्पतालों में संक्रमित मरीजों की जान बचाने की खातिर चिकित्सा स्टाफ जान जोखिम में डालकर जुटा है।

प्रयागराज,जेएनएन। कोरोना संक्रमण ऐसा है जिसके बारे में सुनकर ही लोग भयभीत हो जाते हैं। गंभीर और अति गंभीर मरीजों से दूरी बनाए रखने में ही जान सुरक्षित समझी जाती है। लेकिन, कोविड अस्पतालों में संक्रमित मरीजों की जान बचाने की खातिर चिकित्सा स्टाफ जान जोखिम में डालकर जुटा है। मरीज को इंजेक्शन व दवा देने, ऑक्सीजन लेवेल नापने, कपड़े व चादर बदलने, भोजन कराने और बाथरूम तक हाथ पकड़कर ले जाने के अलावा डायपर तक बदलने की जिम्मेदारी निभा रहे हैैं। हर किसी को हौसला बढ़ाने की जरूरत है।

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एक उदाहरण स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय परिसर स्थित कोविड अस्पताल का ही लें, जहां नई और पुरानी बिल्डिंग को मिलाकर 15 वार्ड संचालित हैं। इनमें 500 से अधिक मरीज भर्ती हैं और प्रत्येक वार्ड में एक सीनियर डाक्टर, दो जूनियर डाक्टर, नर्स, वार्ड ब्वाय और स्वीपर की ड्यूटी तीन शिफ्ट में लग रही है। इसमें मरीज और चिकित्सा स्टाफ के बीच मास्क ही अकेले ऐसे माध्यम है जो अपने को कोरोना वायरस से सुरक्षित रखने का सशक्त तरीका है। हर पल यह खतरा मंडराता रहता है कि कहीं किसी मरीज से संक्रमित न हो जाएं, लेकिन उससे बड़ी प्राथमिकता सभी की यह है कि कोरोना संक्रमित वार्ड से स्वस्थ होकर निकलें। कुछ यही हाल तेज बहादुर सप्रू चिकित्सालय (बेली अस्पताल) का भी है। इसमें भी डाक्टर व कर्मचारी जान हथेली पर लेकर काम कर रहे हैं।

संक्रमित, आइसोलेशन, निगेटिव और फिर ड्यूटी

-कोविड अस्पताल में ड्यूटी करते-करते अब तक दर्जनों स्टाफ भी संक्रमित हो चुके हैं। केवल एसआरएन में ही करीब 40 जूनियर डाक्टर, 20 सीनियर डाक्टर, 25-30 स्टाफ नर्स, इतने ही वार्ड ब्वाय और स्वीपर कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। इन्हें दवा तथा अन्य चिकित्सा संसाधनों से उनके घर पर 10-14 दिनों में स्वस्थ कर लिया जा रहा है। पुन: जांच में रिपोर्ट निगेटिव आते ही फिर ड्यूटी पर लौट रहे हैं।

पीपीई किट आधे घंटे पहनना मुश्किल

एचडीयू (हाई डिपेंडेंसी यूनिट) और आइसीयू में अधिकांश गंभीर मरीज भर्ती हैं। इनके करीब तक जाकर इलाज और भोजन कराना, पानी पिलाना काफी जोखिम भरा काम है। ऐसे में पीपीई किट पहनना मजबूरी है लेकिन, गर्मी के दिनों में पीपीई किट से आधे घंटे में ही शरीर पसीने से तर बतर हो जाता है।

सुरक्षित हैं तो भगवान के शुक्रगुजार हैं

सुपर स्पेशिलिटी ब्लाक एसआरएन के अधीक्षक डा. मोहित जैन का कहना है कि कोविड संक्रमितों के बीच रहकर काम करना काफी मुश्किल है। जो स्टाफ अभी तक सुरक्षित है वह भगवान का शुक्रगुजार करता है और जो संक्रमित हो जाते हैं उनके स्वास्थ्य के लिए टीम लग जाती है। जो भी स्टाफ कोरोना संक्रमितों के बीच रहकर काम कर रहे हैं वह धन्य हैं।

एसआरएन के यह वार्ड हैं कोविड केयर सेंटर

वार्ड एक और दो (ट्रायज वार्ड), सात, आठ, नौ, 11, 13, 14, 15

सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक

प्रथम तल-दो विंग

द्वितीय तल-दो विंग

तृतीय तल-दो विंग


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