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...कभी अर्स पर था रेट, अब Coronavirus ने प्याज को फर्श पर ला पटका Prayagraj News

करीब दो-ढाई महीने पहले प्याज 150 से 200 रुपये प्रति किलो बिक रही थी। कालाबाजारी पर सड़क से संसद तक हंगामा मचा हुआ था। कीमत नियंत्रित को सरकार ने आयात भी किया था।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 05 Apr 2020 10:14 AM (IST)Updated: Sun, 05 Apr 2020 10:14 AM (IST)
...कभी अर्स पर था रेट, अब Coronavirus ने प्याज को फर्श पर ला पटका Prayagraj News
...कभी अर्स पर था रेट, अब Coronavirus ने प्याज को फर्श पर ला पटका Prayagraj News

प्रयागराज, [राजकुमार श्रीवास्तव]। हर चीज के अपने-अपने दिन और समय होते हैं। अभी कुछ दिन पहले की ही बात है, प्याज के भाव आसमान छू रहे थे। प्याज की महंगी कीमत लोगों को अखरने लगी थी। हालांकि समय को करवट लेते देर नहीं लगती है। कोरोना वायरस ने उसी प्याज को अब जमीन पर लाकर पटक दिया है। थोक मंडी में औने-पौने दाम पर प्याज बिक रही है।

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थोक रेट काफी कम, ट्रकों में प्याज डंप होने से हो रही खराब

करीब दो-ढाई महीने पहले प्याज डेढ़ से दो सौ रुपये प्रति किलो तक बिक रही थी। इसकी कालाबाजारी पर सड़क से संसद तक हंगामा मचा हुआ था। कीमत नियंत्रित करने के लिए सरकार को तुर्की से प्याज का आयात भी करना पड़ा था। यह और बात थी कि बेस्वाद वाली तुर्की की प्याज को लोग पूछे ही नहीं। अब कोरोना वायरस जैसी महामारी ने सब्जियों के वितरण में ऐसी असमानता पैदा कर दी है कि थोक रेट काफी कम होने के साथ ही ट्रकों में प्याज डंप होने से सड़ रही है।

लॉकडाउन में लोगों को सुविधा तो दी पर बोझ भी लाद दिया गया

लॉकडाउन में कालाबाजारी पर रोक लगाने और लोगों को घर बैठे उनकी मनपसंद की चीजें मुहैया कराने के लिए प्रशासन ने होम डिलीवरी सुविधा शुरू की है। हालांकि इसका बोझ आम जनता को ही उठाना पड़ रहा है। शहर के विभिन्न हिस्सों में शहरियों के लजीज व्यंजनों के लुत्फ उठाने पर लॉकडाउन के कारण लॉक लग गया है। इस बंदी का फायदा उठाते हुए कालाबाजारी करने वाले तमाम छिपे व्यापारी सामने आ गए हैं। इनकी करतूतों के कारण आटा, दाल, चावल, चीनी जैसी खाद्य सामग्रियों के दाम चढ़ गए।

महंगी कीमत का बोझ तो लोगों की जेब पर ही पड़ रहा

इन खाद्य सामग्रियों की कीमत घटाने के साथ घर बैठे लोगों को उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए प्रशासन ने होम डिलीवरी की सुविधा दी है। हालांकि जिन फर्मों को यह सुविधा प्रदान करने की जिम्मेदारी मिली है, वह दूरी के हिसाब से होम डिलीवरी चार्ज वसूल रहे हैं। ऐसे में महंगी कीमत का बोझ तो लोगों की जेब पर ही पड़ रहा है।


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