Coronavirus Prayagraj News : ...इस केस ने तो विशेषज्ञ डॉक्टरों को भी अचरज में डाल दिया, नए खतरे पर शोध की तैयारी
Coronavirus Prayagraj News एसआरएन अस्पताल के एक जूनियर डॉक्टर दो माह में दूसरी बार संक्रमित हो गए हैं। इसे विशेषज्ञ डॉक्टर इसे नया खतरा मान रहे हैं। इस पर शोध की तैयारी है।
प्रयागराज, [मनीष मिश्र]। कोरोना वायरस का संक्रमण तो फैल ही रहा है, अब इसमें नई चीज भी देखने को मिल रही है। जी हां, यहां स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल (एसआरएन) के जूनियर डाक्टर के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है। वह दो महीने के भीतर ही दोबारा पॉजिटिव हुए हैैं। विशेषज्ञ डॉक्टर इसे नया खतरा मान रहे हैैं। अनुमान है कि एंटीबॉडी बहुत कम होने से ऐसा हुआ है। इससे पहले गुजरात व कर्नाटक में ऐसे मामले प्रकाश में आए थे। अब इस केस में शोध की तैयारी की जा रही है।
संक्रमित मरीज को स्वस्थ होने के बाद भी सचेत रहने की जरूरत है
आप भी इसे संज्ञान में लें कि यदि कोई कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद निगेटिव हुआ है तब भी उसे सचेत रहने की आवश्यकता है। ऐसा इसलिए कि वायरस दोबारा कभी भी संक्रमित कर सकता है। स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल के जिस जूनियर डॉक्टर को दोबारा कोरोना वायरस ने संक्रमित किया है, वह जुलाई के पहले सप्ताह में पॉजिटिव मिले थे। अस्पताल में इलाज चला और 10 दिन बाद जांच हुई तो निगेटिव पाए गए। सितंबर में उन्होंने फिर ड्यूटी ज्वाइन की। उनकी ड्यूटी कोविड वार्ड में लगाई गई। इस दौरान कमजोरी महसूस होने लगी और बुखार जैसा लगा तो सीनियर डॉक्टरों ने जांच कराने की सलाह दी।
यह प्रकरण हम सबके लिए अचरज भरा है : डॉ. मनीष
इसके बाद जूनियर डाक्टर की आरटीपीसीआर जांच कराई गई। रिपोर्ट अचरज भरी थी, क्योंकि यह पॉजिटिव थी। हड्डी रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनीष शुक्ला कहते हैैं कि यह प्रकरण हम सबके लिए अचरज भरा है। दरअसल अभी तक माना यही जाता रहा है कि एंटीबॉडी बनने के बाद छह महीने तक कोरोना संक्रमण का खतरा नहीं रहता।
एंटीबाडी बनी या नहीं बताएगा टाइटर टेस्ट
मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. मोनिका बताती हैं कि प्रयागराज में दोबारा पॉजिटिव होने का यह पहला मामला है। शायद दोबारा कोरोना पॉजिटिव आने वाले इस डॉक्टर के शरीर में एंटीबॉडी बहुत कम बनी होगी अथवा यह भी हो सकता है कि एंटीबॉडी बनी ही नहीं हो। उन्होंने कहा कि कुछ विशेषज्ञ गुजरात व कर्नाटक में हुए ऐसे ही मामलों के बाद शोध कर रहे हैं लेकिन अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं हो सका है। टाइटर टेस्ट से ही यह पता चल सकता है कि जूनियर डाक्टर के शरीर में एंटीबॉडी की क्या स्थिति है? टाइटर टेस्ट एंटीबॉडी की स्थिति पता करने के लिए कराया जाता है।