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Coronavirus Effect : आर्थिक सुस्ती से कुर्बानी के बकरों का बाजार भी ठंडा है, व्‍यापारी भी उत्‍साहित नहीं Prayagraj News

कोरोना के चलते इस बार बकरीद पर सामूहिक नमाज पर प्रतिबंध है। कुर्बानी के लिए बकरों का बाजार भी नहीं लगेगा। स्लाटर हाउस पर रोक के चलते लोग अपने घरों में कुर्बानी की रस्म अदा करेंगे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 24 Jul 2020 01:33 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jul 2020 04:12 PM (IST)
Coronavirus Effect : आर्थिक सुस्ती से कुर्बानी के बकरों का बाजार भी ठंडा है, व्‍यापारी भी उत्‍साहित नहीं Prayagraj News
Coronavirus Effect : आर्थिक सुस्ती से कुर्बानी के बकरों का बाजार भी ठंडा है, व्‍यापारी भी उत्‍साहित नहीं Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना वायरस का प्रकोप हर ओर है। ऐसे में बकरीद का पर्व इससे अछूता कैसे रह सकता है। कोरोना के चलते आई आर्थिक सुस्ती से कुर्बानी के बकरों का बाजार भी ठंडा पड़ा है। बिक्री न होने से व्यापारियों में भी उत्साह नहीं है। शारीरिक दूरी कायम रखने के प्रतिबंध के चलते बकरा मंडियों में सन्नाटा पसरा है।

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कुर्बानी के लिए बकरा बाजार नहीं लगेगा

भले ही कुछ व्यापारी बकरों के साथ मुस्लिम इलाकों की गलियों में घूम रहे हैं लेकिन उन्हें खरीदार कम ही मिल रहे हैं। कोरोना के चलते इस बार बकरीद पर सामूहिक नमाज पर प्रतिबंध है। कुर्बानी के लिए बकरों का बाजार भी नहीं लगेगा। स्लाटर हाउस पर रोक के चलते लोग अपने घरों में ही कुर्बानी की रस्म अदा करेंगे। ऐसे में बकरों का बाजार इस बार काफी ठंडा है।

पिछले वर्ष तक थी बाजार में रौनक

पिछले वर्ष तक बकरीद पर्व के सप्ताह भर पहले ही शहर के हटिया, रसूलपुर-करेली, अटाला आदि इलाकों में बकरा मंडी सज जाती थी जहां से मुस्लिम समुदाय के लोग कुर्बानी के लिए बकरा खरीदकर ले जाते थे। वहीं इस बार बकरा मंडियां सूनी पड़ी हैं। कुछ व्यापारियों ने बकरे मंगा लिए थे वे उन्हें लेकर मुस्लिम इलाकों में दरवाजे-दरवाजे टहल रहे हैं लेकिन उन्हें खरीदार नहीं मिल रहे हैं। वे इसके पीछे कोरोना की वजह से आई मंदी को जिम्मेदार बताते हैं।

बोले, बकरों के कारोबारी

बकरों का कारोबार करने वाले अटाला निवासी जुबैर मंसूरी और नईम अंसारी ने बताया कि पहले जहां एक घर में दो-चार बकरों की कुर्बानी होती थी अब एक बकरे से ही काम चलाया जा रहा है। इस बार बाजार एकदम ठंडा है, कुछ लोगों ने पहले से ही बकरे पाल रखे हैं तो कुछ लोगों ने जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से बकरे खरीद लिए हैं जिससे उनका धंधा मंदा पड़ गया है।

बकरों की कीमत भी काफी कम

बकरों की कीमत भी कम इस बकरीद पर बकरों की कीमत भी काफी कम है। 12-13 किलो वजन का स्वस्थ बकरा 13 से 15 हजार के बीच मिल जा रहा है जबकि विगत साल इस वजन के बकरे की कीमत 20 से 22 हजार रुपये थी। 50 हजार और एक लाख रुपये कीमत वाले बकरे तो इस बार गायब ही हैं।


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