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Corona Fighters: 85 साल की उम्र में प्रयागराज की गायत्री देवी ने संक्रमण को दी पटखनी, जाने कैसे किया वायरस का मुकाबला

Corona Fighters रिपोर्ट कोविड पॉजिटिव आई पर घबराए नहीं। हिम्मत के साथ भाप पानी काढ़ा नीबू का प्रयोग योग आदि शुरू कर दिया। यह कहना है नैनी निवासी 85 वर्षीय गायत्री देवी का। बताती हैं कि डॉक्टर की बताई चीजों का पालन भी करते रहे।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 07:51 PM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 07:51 PM (IST)
Corona Fighters: 85 साल की उम्र में प्रयागराज की गायत्री देवी ने संक्रमण को दी पटखनी, जाने कैसे किया वायरस का मुकाबला
नैनी की गायत्री देवी ने 85 साल की अवस्‍था में संक्रमण से नहीं घबराई। आखिरकार वायरस को पराजित किया।

प्रयागराज,जेएनएन। हल्का बुखार आया और कोरोना का एहसास हुआ। तुरंत सचेत हो गए और दवा शुरू कर दी। डॉक्टर को भी दिखाया। बिना समय गंवाए जांच भी करा ली। जिसकी उम्मीद थी वही हुआ रिपोर्ट कोविड पॉजिटिव आई पर घबराए नहीं। हिम्मत के साथ भाप, पानी, काढ़ा, नीबू का प्रयोग, योग आदि शुरू कर दिया। यह कहना है नैनी निवासी 85 वर्षीय गायत्री देवी का। बताती हैं कि डॉक्टर की बताई चीजों का पालन भी करते रहे। बीच में हालत कुछ बिगड़ी तो एक निजी अस्पताल में भर्ती भी होना पड़ा वहां पता चला कि फेफड़े में इंफेक्शन गंभीर रूप से फैल गया था। ऑक्सीजन स्तर भी लगातार नीचे जाने लगा। पर  हिम्मत बनाए रखे और तीन चार दिन में स्थिति सामान्य हो गई और घर आ गए। यह सिर्फ इसलिए हुआ कि हमेशा यही लगता था कि जल्द ही सब ठीक हो जाएगा। यह बीमारी बस दो चार दिन की बात है।

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आपस में ढांढस बंधाते रहे और हार गई महामारी

कोरोना को हराने में धैर्य, साहस बरकरार रखते हुए आपस में ढांढस बंधाना भी बहुत फायदेमंद साबित हुआ। झूंसी की रहने वाली उद्यमी अंकिता गौर ने भी स्वजनों के साथ आपस में एक-दूसरे का ढांढस बंधाते हुए कोरोना को मात दीं।  वह, उनके पिता सुधीर कुमार गौर, मां साधना गौर और भाई दिव्यांशु 23 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव हो गए। इसके बाद सभी लोग औद्योगिक क्षेत्र स्थित अपनी फैक्ट्री में आ गए और फैक्ट्री को बंद कराते हुए होम क्वारंटाइन हो गए। अंकिता बताती हैं कि सभी लोग डाक्टर द्वारा दी गई दवाओं के अलावा दिन में तीन बार काढ़ा और गर्म पानी पीते थे। दो बार भाप लेते थे। पौष्टिक आहार, फल, जूस इसमें बहुत जरूरी है। इस दौरान समय काटने के लिए मोबाइल पर ही गेम, लूडो आदि खेलते थे। सभी ने हंसते-खेलते और आपस में एक-दूसरे का ढांढस बंधाते हुए कोरोना को हराया। नौ मई को सभी की रिपोर्ट निगेटिव होने के बाद झूंसी स्थित आवास पर लौट गए।


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