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Corona Fighters: 83 वर्षीय प्रोफेसर ने आत्‍मबल और हिम्‍मत से संक्रमण को दी मात, घर पर रहकर किया इलाज

Corona Fighters ट्रिपलआइटी की 83 वर्षीय प्रोफेसर डॉ. कृष्णा मिश्रा करीब 20 दिनों तक कोरोना संक्रमण से जूझीं। उनके फेफड़े गंभीर रूप से संक्रमित हुए फिर भी उन्होंने कोरोना को मात दी। कहती हैं कि प्रयागराज में अकेले रहती हैं। डायविटीज की भी मरीज हैं। उन्हें निमोनिया भी हुआ था।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Fri, 07 May 2021 07:15 PM (IST)Updated: Fri, 07 May 2021 07:15 PM (IST)
Corona Fighters: 83 वर्षीय प्रोफेसर ने आत्‍मबल और हिम्‍मत से संक्रमण को दी मात, घर पर रहकर किया इलाज
ट्रिपलआइटी की 83 वर्षीय प्रोफेसर डॉ. कृष्णा मिश्रा ने संक्रमण को मात दी। उनका हौसला दूसरे के लिए प्रेरणास्‍त्रोत है।

प्रयागराज,जेएनएन। किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए धैर्य और साहस जरूरी है। सोच सकारात्मक बनी रहे तो लड़ाई और भी आसान हो जाती है। कोरोना काल में शहर में ढेर सारे लोग ऐसे हैं जिन्होंने वायरस को सामने से टक्कर दी और उसे हराने में सफलता प्राप्त की। आज उनका हौसला दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बना हुआ है।

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फेफड़े दे गए जवाब फिर भी नहीं मानी हार

ट्रिपलआइटी की 83 वर्षीय प्रोफेसर डॉ. कृष्णा मिश्रा करीब 20 दिनों तक कोरोना संक्रमण से जूझीं। उनके फेफड़े गंभीर रूप से संक्रमित हुए फिर भी उन्होंने कोरोना को मात दे दी। कहती हैं कि प्रयागराज में अकेले रहती हैं। डायविटीज की भी मरीज हैं। उन्हें निमोनिया भी हुआ था। इसके बाद 19 मार्च को कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक लगवाई। 30 मार्च को अचानक बुखार हो गया, सूखी खांसी भी आने लगी। जांच कराने पर कोविड पॉजिटिव निकलीं। सीटी वैल्यू 13 थी। इसका अर्थ यह कि संक्रमण गहरा है। तुरंत टेलीफोन से कई डॉक्टरों से राय ली। पीजीआई के डॉक्टर से भी संपर्क किया। वहां बेड मिल जाने का आश्वासन मिला, बावजूद इसके कुछ अन्य डॉक्टरों से राय ली। मन में विचार आया कि घर पर भी सभी चीजें हो सकती हैं। बस कोई देखभाल करने वाला मिल जाए। निजी ड्राइवर इरफान व उनकी पत्नी ने पूरी मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने ऑक्सीमीटर, ऑक्सीजन सिलिंडर सहित अन्य जरूरी संसाधन जुटा लिया। डॉक्टर की बताई दवाएं लेने के साथ इस दौरान मैने गहरी श्वांस लेना और छोडऩे का भी खूब अभ्यास किया। इससे ऑक्सीजन का स्तर जो गिर रहा था वह ठीक हो गया। भाप भी लेते रहे। करीब बीस दिन में ही सभी जांच रिपोर्ट दोबारा सामान्य हो गई। ड्राइवर इरफान व उनकी पत्नी ने भी मेरा खूब ध्यान रखा। इन सभी चीजों की बदौलत मैने कोरोना को मात दे दी।

आत्मबल से हरा दिया संक्रमण को

 कोरोना को हराने के लिए आत्मबल जरूरी है। बिना घबराए डॉक्टर की सलाह पर अमल करते रहे और 17 दिन में संक्रमण को मात दे दी। आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रदेश महामंत्री पंकज जायसवाल ने बताया कि 8 अप्रैल को बुखार, सर्दी हुई। तुरंत कोविड-19 की जांच कराई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। स्वरूपरानी अस्पताल में भर्ती हो गए। वहां आक्सीजन स्तर 82 था पर घबराए नहीं। अनुलोम विलोम, जल्दी जल्दी सांस लेने सहित तमाम तरह की फेफड़ों से संबंधित एक्सरसाइज करते रहे। तीसरे दिन ही अपने से ऑक्सीजन हटा दिया। बस लंबी श्वास के साथ ओमकार का उच्चारण भी करते रहे। अस्पताल में आपने आसपास के अन्य मरीजों को भी यह अभ्यास कराया। उन्हें भी लाभ मिला। इधर घर में बड़े बेटे सार्थक और छोटे बेटे अविरल की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई। वे दोनों भी घर पर ही सभी उपचार और अभ्यास करते रहे। सार्थक हमेशा ह्वील चेयर पर रहते हैं लेकिन उन्हें भी आत्मविश्वास था कि ठीक हो जाएंगे। वह फोनकर हमें हौसला देते। ईश्वर की कृपा से हम तीनों स्वस्थ हो गए। वतावरण की स्वच्छता के लिए हम सब घर में प्रतिदिन हवन भी कर रहे हैं। इसे यदि सभी लोग करें तो लाभ मिलेगा।

स्वजनों की तीमारदारी से मिली जीत

 डॉक्टरों की सलाह, दवा, लोगों की दृढ़ इच्छा शक्ति, संयम और नियम से कोरोना को आसानी से हराया जा सकता है लेकिन, स्वजनों की तीमारदारी भी इसमें अहम भूमिका निभाती है। मरीजों को समय पर हर चीजें उपलब्ध कराने, उनकी हर बातों का ख्याल रखने से भी इस महामारी के संक्रमण से जल्द निजात मिलने में आसानी होती है। नगर निगम के जनकार्य विभाग में वरिष्ठ लिपिक और कल्याणी देवी निवासी पंकज सूरी भी सपत्नीक स्वजनों की तीमारदारी से कोरोना को मात देने में सफल रहे। पंकज और उनकी पत्नी रमा सूरी 18 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव हुए थे। दोनों लोगों ने होम आइसोलेशन में रहते हुए डॉक्टरों द्वारा दी गई दवाओं का समय पर सेवन किया। भाप, गिलोय, काढ़ा का प्रयोग करते रहे। सुबह अनुलोम-विलोम भी करते रहे। 25 को जांच कराने पर 26 को रिपोर्ट निगेटिव आई। वह बताते हैं कि दोनों बेटे, बहू और बेटी खुद सुरक्षित रहते एवं हर चीजों का ख्याल रखते हुए समय पर मुहैया कराईं।


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