भाजपा के राज्य चिकित्सा प्रकोष्ठ के संयोजक बोले-कुछ राजनीतिक दलों के लोग व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर नहीं उठ पा रहे
राज्य चिकित्सा प्रकोष्ठ के संयोजक एलएस ओझा ने कहा कि देश का आम नागरिक अपने राष्ट्र के लिए सब कुछ न्यौक्षावर करने को तैयार है। बावजूद इसके कुछ राजनीतिक दल व एनजीओ के लोग निजी स्वार्थ से ऊपर नहीं उठ पा रहे हैं। उनके लिए राष्ट्रीयता द्वितीय विषय है।
प्रयागराज, जेएनएन। कुछ राजनीतिक दल निजी स्वार्थ के लिए संविधान को भी मानने से इनकार कर रहे हैं। यह दुख और चिंता का विषय है। इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना होगा। आखिर हजारों साल की गुलामी के बाद भी हम अपने भीतर राष्ट्रवाद नहीं पैदा कर पाए इसकी वजह तलाशनी होगी। यह बातें भाजपा के राज्य चिकित्सा प्रकोष्ठ के संयोजक एलएस ओझा ने कहीं। उन्होंने कहा कि यह भी मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि यह बात पूरे देश के लिए नहीं है, कुछ खास लोगों के लिए ही प्रभावी है।
राज्य चिकित्सा प्रकोष्ठ के संयोजक एलएस ओझा ने कहा कि देश का आम नागरिक अपने राष्ट्र के लिए सब कुछ न्यौक्षावर करने को तैयार है। बावजूद इसके कुछ राजनीतिक दल व एनजीओ के लोग निजी स्वार्थ से ऊपर नहीं उठ पा रहे हैं। उनके लिए राष्ट्रीयता अब भी द्वितीय विषय है। इसकी वजहों पर गंभीरता से मंथन करना होगा। यदि जरूरी हो तो कड़ी कार्रवाई भी की जाए।
पाठ्यक्रम में शामिल हो राष्ट्रीयता का मुद्दा
वर्तमान में राष्ट्रीयता व राष्ट्रवाद जैसे मुद्दे को भी बहस में शामिल किया जा रहा है। इसकी वजह लोगों के बेतुके बयान हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए नई पीढ़ी को शुरू से ऐसे संस्कार दिए जाएं जिससे वह अपने देश, समाज, राष्ट्रीय प्रतीकों के प्रति सम्मान की प्रवृत्ति विकसित करें। यह कहना है बीएचयू के पूर्व कुलपति प्रो. जीसी त्रिपाठी का। उनका मानना है कि नई शिक्षा नीति में सिर्फ शिक्षा पर ही बल नहीं है बल्कि संपूर्ण मानव निर्माण की रूप रेखा है। इस मानव निर्माण से समाज व राष्ट्र निर्माण के लिए भी इबारत लिखी जाएगी।