Move to Jagran APP

Fake Case: प्रयागराज के एएसपी कार्यालय में रची गई फर्जी मुकदमा लिखाने की साजिश

इंस्पेक्टर ने अपना रिश्तेदार बताते हुए आऱोपित असिस्टेंट प्रोफेसर को एएसपी के सामने पेश किया और कहा कि उसे फर्जी ढंग से फंसाया गया। इस बातचीत के बाद ही गवाहों तथा पीड़िता के भाई के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज कराकर परेशान करने की तैयारी की गई

By Ankur TripathiEdited By: Published: Thu, 04 Nov 2021 07:00 AM (IST)Updated: Thu, 04 Nov 2021 07:40 AM (IST)
Fake Case: प्रयागराज के एएसपी कार्यालय में रची गई फर्जी मुकदमा लिखाने की साजिश
दुष्कर्म के गवाह को फर्जी केस में फंसाने की हो रही पुलिस तहकीकात

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। सीएमपी डिग्री कालेज के असिस्टेंट प्रोफेसर मदन यादव के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म के मुकदमे में गवाह को ही इसी आरोप में फर्जी तरीके से जेल भेजने के मामले में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। पता चला है कि गवाह को फर्जी ढंग से फंसाकर जेल भेजने की पटकथा एक एएसपी के दफ्तर में लिखी गई थी ताकि पीड़िता व गवाहों पर दबाव बनाकर असिस्टेंट प्रोफेसर को मुकदमे में राहत दिलाई जा सके। प्रकरण की जांच में जुटी पुलिस काे ऐसी जानकारी मिली है, जिसकी सच्चाई का पता लगाया जा रहा है।

loksabha election banner

जल्द शादी का भरोसा देकर जमानत में ली थी मदद

इस बारे में पुलिस सूत्रों का कहना है कि कर्नलगंज थाने की पुलिस ने प्रतियोगी छात्रा की तहरीर पर असिस्टेंट प्रोफेसर मदन यादव के खिलाफ शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था। फिर एक साल बाद उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। इसके बाद पीड़िता को फिर यह कहकर धोखा दिया गया कि मदन जल्द ही उससे शादी कर लेगा। ऐसे में पीड़िता ने कोर्ट में जमानत कराने में मदद की। जमानत मिलने पर सलाखों से बाहर आने के बाद अभियुक्त मदन एक इंस्पेक्टर के जरिए एएसपी के कार्यालय पहुंचा।

इंस्पेक्टर ने अपना रिश्तेदार बताकर मिलाया था एसएसपी से

इंस्पेक्टर ने अपना रिश्तेदार बताते हुए आऱोपित असिस्टेंट प्रोफेसर को एएसपी के सामने पेश किया और कहा कि उसे फर्जी ढंग से फंसाया गया । फिर उनके बीच कई तरह की बातचीत हुई। इस बातचीत के बाद ही गवाहों तथा पीड़िता के भाई के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज कराकर परेशान करने की तैयारी की गई। सूत्रों का दावा है कि फर्जीवाड़ा के पीछे बड़ी रकम की डील हुई थी और एक विशेष जाति के ही पुलिसकर्मियों को इस काम में लगाया गया था। फिलहाल इस मामले में इंस्पेक्टर हंडिया बृजेश सिंह यादव, सर्विलांस प्रभारी संजय सिंह यादव और नार्कोटिक्स टीम के प्रभारी महावीर को पद से हटाकर दंगा नियंत्रण टीम में भेजा दिया गया है।

दो हजार रुपये देकर दर्ज कराया दुष्कर्म का केस

हंडिया थाने में दर्ज दुष्कर्म के मुकदमे में जिस गवाह को फर्जी ढंग से जेल भेजा गया था, इसके पहले उसके खिलाफ ऐसा ही फर्जी मुकदमा फूलपुर थाने में भी लिखा गया था। बताया जाता है कि मार्च 2021 में फूलपुर थाने में पीड़ित छात्रा के भाई और उसके सीनियर गवाह के विरुद्ध दुष्कर्म की एफआइआर बिहार की एक महिला ने दर्ज कराई थी। पुलिस का कहना है कि पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने कहा कि वह दोनों आरोपितों को न जानती है और न पहचानती है। उतरांव के एक शख्स ने उसे दो हजार रुपये दिए थे, तब उसने यह मुकदमा लिखाया था। मामला फर्जी मिलने पर उसे स्पंज कर दिया गया था। इसके बाद ही अप्रैल माह में हंडिया में भी केस दर्ज कर गवाह को फंसाया गया और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया। 

जब साक्ष्य है तो निलंबन क्यों नहीं

गवाह को न केवल फर्जी ढंग से जेल भेजा गया बल्कि पीड़िता की स्कूटी का नंबर बदलकर उसे कूटरचना के आरोप में भी फंसाने की कोशिश की गई। पहले फूलपुर फिर हंडिया थाने में दर्ज मुकदमे की विवेचना के बाद पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हुई है। साथ ही उनके खिलाफ अभिलेखीय और वैज्ञानिक साक्ष्य भी मिले हैं। इसके बावजूद अब तक किसी का निलंबन नहीं हुआ है। इसको लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। यह भी कहा जाने लगा है कि दोषी पुलिसकर्मियों को बचाने की कवायद भी चल रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.