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कांग्रेस की नदी अधिकार यात्रा आज प्रयागराज के बसवार से, करीब 600 गांवों में निषाद समुदाय के लोगों संवाद करेंगे कांग्रेसजन

नदी अधिकार यात्रा के तहत होने वाली पदयात्रा का नेतृत्व छत्तीसगढ़ के संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद करेंगे। उन्होंने कहा कि नदी एवं नदी के सहारे संसाधनों पर हक की बात यात्रा के जरिए उठाई जाएगी। कांग्रेसजन कुल 20 दिनों की अवधि में 600 गांवों में लोगों से संवाद करेंगे।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Mon, 01 Mar 2021 07:00 AM (IST)Updated: Mon, 01 Mar 2021 07:00 AM (IST)
कांग्रेस की नदी अधिकार यात्रा आज प्रयागराज के बसवार से, करीब 600 गांवों में निषाद समुदाय के लोगों संवाद करेंगे कांग्रेसजन
कांग्रेस की नदी अधिकार यात्रा सोमवार पहली मार्च को घूरपुर के बसवार से शुरू होगी।

प्रयागराज, जेएनएन। प्रदेश में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने के क्रम में कांग्रेस की नदी अधिकार यात्रा सोमवार पहली मार्च को घूरपुर के बसवार से शुरू होगी। इसके तहत कांग्रेसजन नदी किनारे गांवों में पदयात्रा करते हुए पहुंचेंगे और निषाद समुदाय के लोगों को उनके अधिकार दिलाने का संकल्प लेंगे। नदी में माफिया द्वारा बालू के अवैध खनन को भी उजागर किया जाएगा। पदयात्रा 20 मार्च को बलिया में मांझी घाट पर समाप्त होगी। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी किसी एक स्थान पर शामिल होंगी। अनुमान मीरजापुर में शामिल होने का है।

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प्रतिदिन 15 किमी की दूरी तय होगी, सूर्यास्त पर गांव में विश्राम 

नदी अधिकार यात्रा के तहत होने वाली पदयात्रा का नेतृत्व छत्तीसगढ़ के संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद करेंगे। उन्होंने रविवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि नदी एवं नदी के सहारे संसाधनों पर हक की बात यात्रा के जरिए उठाई जाएगी। कांग्रेसजन कुल 20 दिनों की अवधि में 600 गांवों में लोगों से संवाद करेंगे। बसवार से सभी पदयात्री अगले पड़ाव की तरफ बढ़ेंगे। यात्रा मीरजापुर, भदोही, वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर होते हुए बलिया पहुंचेगी। प्रतिदिन 15 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी। जहां सूरज ढलेगा, वहीं नदी के किनारे के गांव में कांग्रेसजन रात्रि विश्राम करेंगे। नदियों पर निषाद समाज के पारंपरिक अधिकार सुनिश्चित करने, एनजीटी के दिशानिर्देशों का हवाला देकर नदियों में नाव से बालू खनन पर लगाई गई रोक के विरुद्ध आवाज उठाई जाएगी। यह भी मांग की जाएगी कि नदियों से मोरंग व मिट्टी निकालने में निषादों के पारंपरिक अधिकार को सुनिश्चित किया जाए। जिन नाव घाट पर पांटून पुल है, वहां टोल ठेका में निषाद समाज को वरीयता मिले। 


कई दिन से सुर्खियों में है यह गांव

घूरपुर का बसवार गांव हाल के दिनों में सुर्खियों में रहा है। यहां चार फरवरी को यमुना की बीच धारा से बालू के अवैध खनन पर प्रशासन ने कार्रवाई की थी। बालू नदी में गिराकर कुछ नावें तोड़ी गई थीं। इस पर पथराव हुआ था। करीब दो सौ  लोग इस मामले में नामजद हैैं। प्रियंका गांधी वाड्रा ने बसवार में निषादों की लड़ाई सड़क से संसद तक लडऩे की बात कही थी। शुक्रवार को पार्टी अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने 23 निषाद परिवारों को 10 लाख रुपये की सहायता दी थी। समाजवादी पार्टी तथा निषाद पार्टी भी इस मसले पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैैं। मामला तूल पकड़ता देख भाजपा ने भी डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है। शनिवार को  सांसद रीता बहुगुणा जोशी की मौजूदगी में प्रदेश के मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने घोषणा की थी कि तोड़ी गई नावें जिला प्रशासन बनवाएगा। 


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