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एमपी की तर्ज पर केंचुए के पसीने से बनेगी खाद, पौष्टिक और चमकदार होगी पैदावार

मध्य प्रदेश की तर्ज पर जिले के मानधाता ब्लाक के हैंसी परजी अकारीपुर सराय नहर राय धनीपुर आदि गांवों में पहला प्रयोग होने जा रहा है। ब्लाक क्षेत्र में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी आधा समूह की महिलाएं केंचुए की खाद बनाएंगी।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Sun, 26 Dec 2021 06:36 AM (IST)Updated: Sun, 26 Dec 2021 06:36 AM (IST)
एमपी की तर्ज पर केंचुए के पसीने से बनेगी खाद, पौष्टिक और चमकदार होगी पैदावार
एमपी की तर्ज पर अब जिले में भी इस तरह की खाद बनाने की तैयारी चल रही है

प्रवीन कुमार यादव, प्रतापगढ़। मध्य प्रदेश में केंचुए के पसीने से खाद बनाई जा रही है। इससे वहां पर पैदा होने वाला अनाज पौष्टिक व चमकदार होता है। मध्य प्रदेश की तर्ज पर अब जिले में भी इस तरह की खाद बनाने की तैयारी चल रही है। इससे दो फायदे होंगे। एक तो स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार की गई खाद की बिक्री से अच्छी आय होगी, वहीं दूसरी ओर रासायनिक खाद खरीदने के नाम पर हो रहे पैसे का खर्च भी रुकेगा।

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गरीब महिलाएं लिख रहीं कामयाबी की इबारत

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह से जुड़कर गांव की गरीब महिलाएं अब विकास की इबारत लिख रहीं हैं। उदाहरण के तौर पर जहां बाबा बेलखरनाथ धाम ब्लाक क्षेत्र के गांव की महिलाएं बेबी ट्राई साइकिल बना रहीं हैं, वहीं दूसरी ओर कई महिलाएं जैविक खेती, आंवले का उत्पाद आदि तैयार कर रहीं हैं। मध्य प्रदेश की तर्ज पर जिले के मानधाता ब्लाक के हैंसी परजी, अकारीपुर, सराय नहर राय, धनीपुर आदि गांवों में पहला प्रयोग होने जा रहा है। ब्लाक क्षेत्र में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी आधा समूह की महिलाएं केंचुए की खाद बनाएंगी।

जानिए इस खाद को तैयार करने की विधि

इसकी विधि यह है कि वर्मीवास मिट्टी के घड़े में तैयार किया जाता है। बर्तन में सबसे पहले बालू व रेत डाला जाएगा। उसमें 10 दिन पुराना गोबर भरा जाएगा। गोबर के ऊपर केंचुए डाले जाएंगे। बर्तन के नीचे कांच व प्लास्टिक की बोतल को इस प्रकार रखें कि बर्तन से गिरने वाला पानी सीधे बोतल में गिरे। इस तरह से घडे़ से रिसा पानी बोतल में एकत्रित होगा। उसे ही वर्मीवास कहते हैं। इसके प्रयोग से अनाज की अधिक पैदावार होती है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के ब्लाक मिशन प्रबंधन ज्ञान चंद्र ने बताया कि समूह की महिलाएं केंचुए के पसीने से खाद बनाएंगी। इसके लिए उनको प्रशिक्षित किया जा रहा है। काम भी महिलाएं शुरू कर दी हैं।

60 महिलाएं कर रहीं काम

केंचुए के पसीने से खाद बनाने की योजना माह भर से चल रही है। प्रधानमंत्री के प्रयागराज में हुए कार्यक्रम में यहां के एनआरएलएम विभाग के अफसरों की व्यस्तता के चलते काम में लेट लतीफी हुई। इन गांवों की करीब 60 महिलाएं खाद बनाने पर काम कर रहीं हैं। टीम मॉनीटरिंग भी कर रही है।

जैविक खाद पर दे रहीं जोर

समूह की महिलाएं वर्मी कंपोस्ट के जरिए भी जैविक खाद बनाने पर विशेष जोर दे रहीं हैं। नजीर के तौर पर संडवा चंद्रिका, बिहार, कुंडा, मानधाता ब्लाक के दर्जनों गांवों में समूह की महिलाएं जैविक खाद तैयार कर रहीं हैं। इसकी अच्छी खासी बिक्री भी हो रही है और किसानों का रासायनिक खाद से मोहभंग हो रहा है।

लहलहा रही सब्जियां

जैविक खाद यानि मवेशियों के गोबर से भी तमाम खेती हो रही है। खासकर आलू, टमाटर, गोभी, पालक, मेथी, धनिया आदि की खेती जैविक खाद से हो रही है। समूह की महिलाओं द्वारा तैयार जैविक खाद से पैदा सब्जियों की अधिक डिमांड भी है।


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