'पृष्ठभूमि' में घटनाएं बोलेंगी और मुसीबत में बच्चों की राह खोलेंगी
देश में होने वाली घटनाओं से सीख लेकर हादसों से बचा जा सकता है। कुछ इसी तर्ज पर पृष्ठभूमि नामक किताब काे तैयार किया गया है। इससे बच्चे जागरूक हो सकेंगे।
प्रयागराज : उत्तर प्रदेश के भदोही में 25 जुलाई 2016 को मानव रहित क्रॉसिंग पर हुए हादसे में बच्चों की मौत, 2013 में बिहार के छपरा में मिड डे मील खाने से 23 बच्चों की मौत, 2012 में पंजाब के अंबाला में दुर्घटना में 12 स्कूली बच्चों की मौत, 2009 में केरल में पिकनिक के दौरान नाव डूबने से 18 बच्चों की मौत, 2004 में तमिलनाडु के कुंभकोणम के स्कूल में आग लगने से 93 बच्चों की मौत की हुई घटना अब कौशांबी के स्कूलों में बच्चों को बताई और पढ़ाई जाएगी। उसमें यह बताया जाएगा कि इस तरह की घटनाओं से कैसे बचा जा सकता है। इन घटनाओं पर शिक्षा विभाग ने 'पृष्ठभूमि' नाम से एक किताब तैयार की है।
बच्चों को पढ़ाया जा रहा सुरक्षा का उपाय
दरअसल इन घटनाओं से शिक्षा विभाग चिंतित हो गया है। इसीलिए परिषदीय विद्यालयों की छात्राओं व अन्य स्कूलों के बच्चों को आत्मरक्षा के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें ताइक्वांडो भी शामिल है। प्राथमिक विद्यालय पवइया में प्रशिक्षण चल रहा है। अब तक हुए हादसों पर संकलित किताब 'पृष्ठभूमि' में 25 पेज हैं। इस किताब में नौ अध्याय हैं। प्राथमिक, उच्च व कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में बच्चों को सुरक्षा का पाठ पढ़ाया जाए है।
हादसे और उनसे बचाव के संबंध में जानकारी पहले चरण में विद्यालय में प्रार्थना के दौरान दी जा रही है। इसके साथ ही मंझनपुर तहसील के प्राथमिक विद्यालय पवइया में तैनात शिक्षक हीरालाल कैथल बच्चियों को ताइक्वांडो का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। इस प्रशिक्षण का एक और लाभ यह हुआ कि इन बच्चों ने राष्ट्रीय प्रतियोगिता तक में प्रतिभाग किया और गोल्ड मेडल जीता।
हादसों से ले रहे प्रेरणा
मंझनपुर के बीईओ डॉ. अविनाश ङ्क्षसह ने बताया कि किताब पृष्ठभूमि में करीब आधा दर्जन से अधिक हादसों का जिक्र है। इस किताब को सभी विद्यालयों में भेजा गया है, जिससे बच्चों को पढऩे और शिक्षकों को इनसे जुड़ी बातें समझाने में मदद मिलेगी। किताब के हर पेज पर जागरूकता के लिए कहानी भी है।
क्या कहते हैं बीएसए
बीएसए कौशांबी अरङ्क्षवद कुमार ने बताया कि पृष्ठभूमि किताब के माध्यम से देश में अब तक हुए बड़े हादसों की जानकारी दी जा रही है। इससे अलावा बच्चों को हादसे से बचाने के लिए प्रशिक्षित भी किया जा रहा है।