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मासूमों को अपनों ने ठुकराया तो गैरों ने अपनाया Prayagraj News

दो सालों की अवधि में विदेशी दंपतियों ने प्रयागराज में खुल्दाबाद स्थित राजकीय बाल गृह के करीब 20 बच्चों को गोद लिया है। अभी भी दर्जन भर दंपत्तियों के आवेदन यहां लंबित हैैं ।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 27 Dec 2019 05:39 PM (IST)Updated: Fri, 27 Dec 2019 05:39 PM (IST)
मासूमों को अपनों ने ठुकराया तो गैरों ने अपनाया Prayagraj News
मासूमों को अपनों ने ठुकराया तो गैरों ने अपनाया Prayagraj News

प्रयागराज,जेएनएन। ...जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारों... मैैं नहीं कहता ये किताबों मे लिखा है यारों...। लावारिस फिल्म का यह सुपर हिट गीत प्रयागराज के ऐसे मासूम बच्चों पर मौजूं है, जिन्हें जन्म लेने के बाद अपनेपन का अहसास तो नहीं हुआ, लेकिन जब किस्मत संवरी तो ऐसी कि उनकी किलकारी विदेशी धरती पर गूंजने लगी।  पिछले दो सालों की अवधि में विदेशी दंपतियों ने प्रयागराज में खुल्दाबाद स्थित राजकीय बाल गृह (अनाथालय) के करीब 20 बच्चों को गोद लिया है। अभी भी दर्जन भर दंपत्तियों के आवेदन यहां लंबित हैैं।

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अनाथलय से पहुंच गए विदेश

पिछले माह यानी नवंबर में अनाथालय की हर्षिता (02 साल)वर्जीनिया निवासी स्काट शेफर्ड की बेटी बन गई। इसी तरह स्पेन निवासी रुपेन ने यहां रहने वाली परमिता (04 साल) को बेटी के रूप में अपना लिया। अनाथालय के खुशी, नंदिनी, भूमि, सोनाली, डाली, सपना, रोशनी श्रुति, मुन्ना व गणेश नामक बच्चे भी विदेशी धरती पर हैैं और नए मां पिता के घर किलकारी भर रहे हैैं। उनकी नई जिंदगी से अनाथालय के कर्मी जरूर संतुष्ट हैैं।

विदेशी दंपत्तियों ने लिया गोद

दरअसल शहर के खुल्दाबाद स्थित अनाथालय में ऐसे बच्चों को सुरक्षित रखा जाता है जो किसी कारणवश अपनों से दूर हो जाते हैं। अधिकांश ऐसे हैं जिन्हें लोकलज्जा के चलते उनकी मां जन्म देते ही लावारिस छोड़ देती हैैं। ऐसे कुछ बच्चों की किस्मत भी गजब होती है। उन्हें विदेशी मां पिता की गोद मिल जाती है। विदेशी दंपत्ति यहां आकर बाकायदा लिखापढ़ी के साथ उन्हें गोद लेते हैं और अपने देश ले जाते हैं। दो सालों की बात करें तो करीब 20 बच्चों को विदेशियों ने गोद लिया है। इसमें बच्चियों की संख्या अधिक है। अनाथालय के कर्मी बीच बीच में इन बच्चों का हाल चाल लेते रहते हैैं यानी बराबर फालोअप करते हैैं।

पहले होती है लंबी छानबीन

प्रयागराज के इस अनाथालय में समीपी जिलों में जहां तहां मिले लावारिस  बच्चों को भी रखा जाता है। यहां रहने वाले बच्चों को जो दंपती गोद लेना चाहते हैैं, वह पहले आवेदन करते हैं। इसकी गंभीरता से छानबीन की जाती है, फिर बच्चों को गोद दिया जाता है। जिला प्रोबेशन अधिकारी पंकज मिश्रा के मुताबिक विदेशी दंपत्ति सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स एजेंसी के जरिए ऑनलाइन आवेदन करते हैं। फिर इंटर कंट्री और इंट्रा कंट्री का मिलान होता है तब यह प्रक्रिया पूरी होती है। जिन बच्चों को गोद लिया जाता है, उनका पासपोर्ट बाकायदा उनके नाम से ही बनवाया जाता है। अन्य दस्तावेज भी उसी नाम पर होते हैैं जो अनाथालय में रखे जाते हैैं।  पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान के निवासियों को अनाथालय के बच्चे गोद नहीं दिए जाते।


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