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अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में बच्चों को नहीं मिलीं किताबें

करीब नौ हजार किताबें कुछ दिन पहले शासन से मिली लेकिन सत्यापन न होने के कारण वितरण के लिए खंड कार्यालयों में नहीं पहुंच सकीं। ऐसे में बिना किताबों के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 21 May 2019 10:53 PM (IST)Updated: Wed, 22 May 2019 10:46 AM (IST)
अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में बच्चों को नहीं मिलीं किताबें
अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में बच्चों को नहीं मिलीं किताबें

 प्रयागराज, जेएनएन। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से संचालित जिले के अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में पढऩे वाले बच्चों को किताबें मुहैया नहीं कराई गई। इसके बावजूद सौ और अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने की कवायद शुरू हो गई है। बच्चों ने करीब डेढ़ महीने किताबों के बगैर बिता दिए। ऐसे में वह सीबीएसई और आइसीएसई बोर्ड के अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के बच्चों से बराबरी कैसे कर पाएंगे। यह बड़ा सवाल है। यही नहीं पूर्व में संचालित अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पठन-पाठन की व्यवस्था सुदृढ़ हुए बगैर नए विद्यालयों के खोलने के विभाग के निर्णय पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। 
 शैक्षिक सत्र 2018-19 में जिले के 100 प्राथमिक विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम में तब्दील किया गया था। इन विद्यालयों में कक्षा एक से चार तक के बच्चों की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम से हो रही है। शैक्षिक सत्र 2019-20 में 134 प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम में तब्दील किया गया। इसमें 34 पूर्व माध्यमिक विद्यालय शामिल हैं। इन विद्यालयों में कक्षा एक से तीन तक के बच्चों की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम से होगी।
 इस तरह 234 विद्यालयों के बच्चों के लिए करीब 22 हजार किताबों की जरूरत इस शैक्षिक सत्र में है। इन बच्चों के लिए करीब नौ हजार किताबें कुछ दिन पहले शासन से मिली, लेकिन सत्यापन न हो पाने के कारण वितरण के लिए खंड कार्यालयों में नहीं पहुंच सकीं। खास यह कि जो 34 पूर्व माध्यमिक विद्यालय अंग्रेजी में तब्दील हुए हैं, उसके बच्चों के लिए किताबें अभी प्रकाशित ही नहीं हुईं।
 कई विद्यालयों में अंग्रेजी शिक्षकों की भी तैनाती नहीं हो सकी है। हालांकि, अंग्रेजी शिक्षकों के लिए टेस्ट हो गया है। जुलाई तक इनको तैनात किया जाएगा। पहले से संचालित अंग्रेजी स्कूलों में पठन-पाठन की यह व्यवस्था है तो 100 और नए स्कूल जुलाई से कैसे सुचारु रूप से चल सकेंगे, यह बड़ा सवाल है।
 जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी संजय कुमार कुशवाहा ने बताया कि स्कूलों में किताबें चली गई हैं, लेकिन छुट्टी हो जाने से सब जगह बंट नहीं सकी। 100 नए स्कूलों को भी जुलाई से शुरू करने की पूरी कोशिश है। इन स्कूलों में अंग्रेजी शिक्षकों को रखने के लिए फिर से परीक्षा कराई जाएगी। करीब पांच सौ अंग्रेजी शिक्षक की जरूरत होगी।
 वहीं, जिलाध्यक्ष उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ देवेंद्र कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि पहले से चल रहे अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो सकी है। विभाग पहले उन स्कूलों में पठन-पाठन व्यवस्था ठीक करे, उसके बाद नए स्कूलों के संचालन पर विचार होना चाहिए। 

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