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बाल और किशोर कामगारों के लिए खुशखबरी, हुआ सर्वे, मिलेगी छात्रवृत्ति Prayagraj News

बाल श्रम को रोकने और जो बच्चे स्कूल से वंचित हैं उन्हें मुख्य धारा में जोडऩे को योजना फायदेमंद है। इसमें बच्चों को पढ़ाने और किशोरों को रोजगार के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 12 Jun 2020 11:43 AM (IST)Updated: Sat, 13 Jun 2020 08:37 AM (IST)
बाल और किशोर कामगारों के लिए खुशखबरी, हुआ सर्वे, मिलेगी छात्रवृत्ति Prayagraj News
बाल और किशोर कामगारों के लिए खुशखबरी, हुआ सर्वे, मिलेगी छात्रवृत्ति Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। बाल और किशोर कामगारों को शिक्षित एवं प्रशिक्षित करने की दिशा में श्रम विभाग की ओर से कार्रवाई की जा रही है। इसके लिए जिले में बाल और किशोर कामगारों का सर्वे कराया जा रहा है। सर्वे का काम पूरा होने पर पांच से आठ साल के बच्चों का संबंधित प्राथमिक विद्यालयों में नामांकन कराया जाएगा। जबकि नौ से 14 साल के किशोरों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन कामगारों को हर महीने चार सौ रुपये छात्रवृत्ति भी मिलेगी। 

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शिक्षित और प्रशिक्षित करने के लिए कराया जा रहा सर्वे

12 जून यानी शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस है। ऐसे में बाल श्रम को रोकने वाले प्रयासों का जिक्र जरूरी है। बाल और किशोर कामगारों को शिक्षित एवं प्रशिक्षित करने के मकसद से विभाग की ओर से पांच से 14 साल के उन बच्चों का सर्वे विभाग करा रहा है जो कामगार हैं।

ऐसे बाल और किशोर कामगारों का डाटा पोर्टल पर होगा अपलोड

सर्वे के बाद बाल और किशोर कामगारों का अद्यतन आंकड़ा सामने आएगा। फिर सभी बच्चों और किशोरों का डाटा पेंसिल पोर्टल पर अपलोड कराया जाएगा। पब्लिक फाइनेंसियल मैनेजमेंट सिस्टम (पीएफएमएस) के जरिए इन्हें हर महीने छात्रवृत्ति दी जाएगी। उप श्रमायुक्त राकेश द्विवेदी ने बताया कि बाल श्रम को रोकने और जो बच्चे स्कूल से वंचित हैं, उन्हें मुख्य धारा में जोडऩे के लिए यह योजना बहुत फायदेमंद है। इसमें बच्चों को पढ़ाने और किशोरों को रोजगार के लिए विशेष प्रशिक्षण का भी प्रावधान है। सर्वे के बाद प्रवेश और ट्रेङ्क्षनग का काम शुरू होगा। 

कामगारों का क्या व्यवसाय

शहर में बाल और किशोर कामगारों का मुख्य व्यवसाय कूड़ा बीनना, बीड़ी बनाना, गैराज, दुकानों, ढाबों पर काम करना है। ग्रामीण क्षेत्रों में इनका मुख्य व्यवसाय पत्थर तोडऩा और सिलिका सैंड में काम करना है। 2011 के सेंसेक्स के मुताबिक जिले में कामकाजी बच्चों की कुल संख्या 10,43,28 है।  

खास आंकड़े

-जिले में कामकाजी बच्चों की संख्या-10,43,28

-मुख्य अंशकालिक बच्चों की संख्या-87,237

-मुख्य कामकाजी बच्चों की संख्या-56,796

-अंशकालिक बच्चों की संख्या-56,796

-प्रतीक्षारत बच्चों की संख्या-17,091


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