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Devshayani Ekadashi 2020 : संन्यासियों का चातुर्मास आज से शुरू होगा, मठों व आश्रमों में पूजन Prayagraj News

Devshayani Ekadashi 2020 श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के वरिष्ठ सदस्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती का चातुर्मास अलोपीबाग स्थित आश्रम में होगा।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 10:15 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 11:13 AM (IST)
Devshayani Ekadashi 2020 : संन्यासियों का चातुर्मास आज से शुरू होगा, मठों व आश्रमों में पूजन Prayagraj News
Devshayani Ekadashi 2020 : संन्यासियों का चातुर्मास आज से शुरू होगा, मठों व आश्रमों में पूजन Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। देवशयनी एकादशी आज बुधवार को है। इस अवसर पर मठ आश्रमों में भगवान विष्णु की षोडशोपचार पूजन की तैयारी है। भगवान विष्णु इसके बाद शयन में चले जाएंगे और देवोत्थान एकादशी तक चातुर्मास रहेगा। इसलिए साधु संन्यासियों की ओर से भव्य पूजा के इंतजाम किए गए हैं। संन्यासियों का चातुर्मास देवशयनी एकादशी से ही शुरू हो जाएगा। अन्य संतों में इसकी मान्यता गुरु पूर्णिमा से होती है। चातुर्मास में सभी मांगलिक कार्य बंद रहेंगे।

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कोरोना संक्रमण काल में भक्‍त घरों में ही करेंगे पूजन

श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के वरिष्ठ सदस्य जगदगुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती का चातुर्मास अलोपीबाग स्थित आश्रम में होगा। आज उनके निर्देशन में भगवान विष्णु की भव्य पूजा होगी। आश्रम के सेवक आचार्य पंडित छोटेलाल मिश्र ने बताया कि स्वामी वासुदेवानंद भी पूजन में रहेंगे। इस वर्ष कोरोना वायरस की महामारी फैली होने के कारण भक्तों से कहा गया है कि पूजन में न आकर अपने घरों में ही रहकर देव आराधना करें।

बोले महंत नरेंद्र गिरि-आज से मांगलिक कार्यक्रम बंद होंगे

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और बाघंबरी गद्दी अल्लापुर के महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि आज  भगवान विष्णु का विधिवत पूजन किया जाएगा। इसके बाद से ही सभी मांगलिक कार्यक्रम बंद हो जाएंगे। दारागंज के मठ आश्रमों और अखाड़ों में भी भगवान विष्णु की पूजा की तैयारी हुई।

यह है देवशयनी एकादशी का महत्‍व

हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं। पुराणों के अनुसार इस दिन से चार माह तक भगवान विष्णु योग निंद्रा में रहते हैं। कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु की योग निंद्रा पूर्ण होती है। इस एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इसी दिन से चातुर्मास भी शुरू हो जाता है। इस दिन के बाद से अगले चार माह तक मांगलिक कार्य नहीं होते। चातुर्मास के दौरान पूजा-पाठ, कथा, अनुष्ठान से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। यह भजन, कीर्तन, सत्संग, कथा, भागवत के लिए श्रेष्ठ समय माना जाता है।


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