दूध के व्यवसाय से महिलाओं की बदली तकदीर, प्रतापगढ़ में समूह से जुड़कर लिख रहीं विकास की इबारत
प्रतापगढ़ में स्वयं सहायता समूह से जुड़कर महिलाएं विकास की इबारत लिख रही हैं। इससे एक ओर जहां महिलाएं समूह से जुड़कर आत्मनिर्भर बनी हैं वहीं दूसरी ओर लोगों को भी आजीविका से जोड़ रही हैं। समूह से जुड़ने के बाद मिले रिवाल्विंग फंड से मवेशी पालन किया।
प्रयागराज, जेएनएन। प्रतापगढ़ में स्वयं सहायता समूह से जुड़कर महिलाएं विकास की इबारत लिख रही हैं। इससे एक ओर जहां महिलाएं समूह से जुड़कर आत्मनिर्भर बनी हैं, वहीं दूसरी ओर लोगों को भी आजीविका से जोड़ रही हैं। समूह से जुड़ने के बाद मिले रिवाल्विंग फंड से मवेशी पालन किया। धीरे-धीरे इस व्यवसाय को विस्तार दिया। इन दिनों समूह की महिलाएं बड़े पैमाने पर काम कर रही हैं। इससे उनकी अच्छी खास आय हो रही है। गरीबी को मात भी दे रही हैं।
हर माह से 30 से 40 हजार रुपये की हो रही आय
मानधाता ब्लाक की ग्राम पंचायत हरखपुर में साल भर पहले गांव की कंचन देवी, अनीता देवी, रेखा देवी, दीपा कुमार सहित दर्जन भर महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं। सीता आजीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़कर महिलाएं मवेशी पाला। इसके बाद सारे मवेशियों के दूध को एक जगह पर एकत्रित करके उसे बाजार में बेच रहीं हैं। इसके अलावा ये महिलाएं आसपास के गांव से भी सस्ते दाम पर दूध खरीदकर उसे बाजार के दाम पर बेच रही हैं। इन सभी महिलाओं की हर माह 30 से 40 हजार रुपये की आय हो रही है। खास बात यह है कि गांव के कई लोगों को वह रोजगार भी दे रखी हैं। इसमें परिवार के भी सदस्य शामिल हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के ब्लाक मिशन प्रबंधक नफीस बताते हैं कि गांव की महिलाएं मवेशी पालकर दूध का व्यवसाय कर रही हैं। इससे उनकी अच्छी खासी आमदनी भी हो रही है।
सफलता की कहानी महिलाओं की जबानी
पहले परिवार की हालत बड़ी खराब थी। आमदनी का कोई जरिया नहीं था। इससे काफी संकट से परिवार गुजर रहा था। समूह से जुडऩे के बाद काफी बदलाव हुआ।
- सोनी यादव
साल भर पहले स्वयं सहायता समूह से जुड़ी। इसके बाद मवेशी पालन करके रोजगार शुरू किया। दूध के व्यवसाय से अच्छी खासी आमदनी होने लगी। परिवार राहत में है।
- अनीता देवी
अगर हम लोग स्वयं सहायता समूह से ने जुड़ी होती तो शायद अचानक में यह परिवर्तन न होता। समूह से पैसा मिला और अपने पास से मिलाकर यह व्यवसाय शुरू किया गया है।
-उर्मिला
पहले परिवार की हालत बदतर थी। छोटी से कमाई में परिवार का खर्च नहीं चल पाता था। समूह से जुड़ी और मवेशी पालन का व्यवसाय शुरू किया। परिवार की स्थिति काफी सुधर गई।
- राजकुमारी