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Chandrashekhar Azad: लोकप्रियता के शिखर पर थे आजाद, इसीलिए हाथ मलती थी पुलिस

जन्मतिथि 23 जुलाई पर विशेष वह भेष बदलने में माहिर थे। राह चलते किसी की भी साइकिल ले लेते कहते कल इसी समय इसी स्थान पर अपनी साइकिल ले लेना। बस लोग जान जाते कि वह आजाद से मिल रहे हैं पर कभी किसी ने मुंह नहीं खोला।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 10:45 AM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 10:45 AM (IST)
Chandrashekhar Azad: लोकप्रियता के शिखर पर थे आजाद, इसीलिए हाथ मलती थी पुलिस
पुलिस ने उन्हें पकडऩे के लिए खूब जाल बिछाया पर सफल नहीं हुई।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। जन्मतिथि 23 जुलाई पर विशेष। चंद्रशेखर आजाद व्यवहार कुशल थे। जीवन काल में ही लोकप्रिय थे। लोग उन्हें चेहरे से नहीं जानते थे। इसकी वजह थी कि वह भेष बदलने में माहिर थे। राह चलते किसी की भी साइकिल ले लेते, कहते कल इसी समय इसी स्थान पर अपनी साइकिल ले लेना। बस लोग जान जाते कि वह आजाद से मिल रहे हैं पर कभी किसी ने मुंह नहीं खोला। पुलिस ने उन्हें पकडऩे के लिए खूब जाल बिछाया पर सफल नहीं हुई। वजह यही थी कि लोगों का समर्थन था उन्हें।

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एक बलशाली 100 विद्वानों को कंपा देता है

इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में मध्यकालीन इतिहास विभाग के प्रो. योगेश्वर तिवारी कहते हैं कि बलं वाव भूयोअपि ह शतं विज्ञानवतामेको बलवानाकम्प्यते अर्थात बलशाली बनो, एक बलशाली सौ विद्वानों को कंपा देता है। मैैं कह सकता हूं कि यही फलसफा था चंद्रशेखर आजाद का। उन्होंने इसे अपने सभी साथियों के मन मस्तिष्क में भर दिया था। चुस्ती फुर्ती ऐसी थी जिसने उन्हें 'क्विक सिलवर की उपाधि दिला दी थी हमजोलियों में। कुशल नेतृत्व की क्षमता, चतुर्मुखी निरीक्षण-शक्ति, सावधानी और तत्काल उपयुक्त काम करने की स्वाभाविक प्रवृत्ति भी उन्हें खास बनाती थी। उन्होंने देश के युवाओं में आजादी का जज्बा भरा। यूं कहें कि तरुणाई को झकझोर दिया।

लाल पद्यधर भी थे आजाद से प्रेरित

रीवा से विश्वविद्यालय में पढऩे आए लाल पद्मधर आजाद से ही प्रेरित थे। उन्होंने भी देश के लिए बलिदान दिया। सीएवी इंटर कॉलेज में पढऩे वाले रमेश दत्त मालवीय, त्रिलोकी नाथ मालवीय में भी अंग्रेजों के प्रति बगावत का बीजारोपण आजाद की प्रेरणा से हुआ। खुद का देश के लिए आत्मोत्सर्ग कर दिया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में विभागाध्यक्ष रहे सीवी त्रिपाठी, गांधी भवन के निदेशक रह चुके डा. जेएस माथुर, अर्थशास्त्री पीडी हजेला, संविधान के जानकार सुभाष कश्यप, संविधान सभा की सदस्य रहीं पूर्णिमा बैनर्जी, सचिन सान्याल सरीखे नाम भी अमर शहीद चंद्रशेखर से पे्ररित थे। सभी ने तत्कालीन आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। छुप छुप कर पर्चे बांटने से लेकर आम जनमानस को जगाने का काम किया।


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