Chamoli Disaster: प्रयागराज के पर्यावरणविद बोले-के प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा है उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने की घटना
Chamoli Disaster उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में हुई ग्लेशियर टूटने की घटना वहां बन रहे बांधों के फलस्वरूप चलते हुई है। गंगा पर बांध नहीं बनाए जाने चाहिए लेकिन वहां पर हाइड्रो प्रोजेक्ट लगवाया जा रहा है। सॉफ्ट रॉक में तोड़फोड़ की जाती है तो उसका दुष्परिणाम खतरनाक होता है।
प्रयागराज, जेएनएन। रविवार को उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने की घटना प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा है। पर्यावरण के जानकारों का मानना है कि गंगा की धारा को रोककर बनाए जा रहे बांध के चलते ऐसी घटनाएं हो रही हैं। इस घटना को देखते हुए सरकार को उन परियोजनाओं को रद कर देना चाहिए जो गंगा की धारा पर बनाई जा रही है।
गंगा की निर्मलता और अविरलता के लिए काम कर रहे इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और गंगा न्याय मित्र अरुण गुप्ता ने कुछ यूं कहा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में हुई ग्लेशियर टूटने की घटना वहां बन रहे बांधों के फलस्वरूप चलते हुई है। गंगा पर बांध नहीं बनाए जाने चाहिए लेकिन वहां पर हाइड्रो प्रोजेक्ट लगवाया जा रहा है। दरअसल हिमालय पर्वत श्रृंखला सॉफ्ट रॉक से बनी हुई है। सॉफ्ट रॉक में तोड़फोड़ की जाती है तो उसका दुष्परिणाम खतरनाक होता है। सॉफ्ट रॉक के चलते ही गंगा अपने साथ मिट्टी और पत्थर बहाकर लाती है।
सरकार को वहां पर बांध बनाने का काम बंद कर देना चाहिए : अरुण गुप्ता
गंगा न्याय मित्र अरुण गुप्ता ने बताया कि उत्तराखंड की पहाड़ियों में ब्लास्ट करके निर्माण किया जा रहा है। इसलिए उसके खतरनाक परिणाम ग्लेशियर टूटने के रूप में सामने आ रहे हैं। कहा कि 2009 में उत्तराखंड में तीन बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट बनने वाले थे। उसके खिलाफ उन्होंने उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। तब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन तीनों हाइड्रो थर्मल प्रोजेक्ट के लिए जारी की गई धनराशि को वापस ले लिया था। उसके बाद से वह तीनों हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट नहीं लगे। सरकारें नहीं मान रही हैं। अब छोटे-छोटे हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट वहां पर लगाए जा रहे है। उसके लिए पहाड़ियों में ब्लास्ट किया जा रहा है। सरकार को वहां पर बांध बनाने का काम बंद कर देना चाहिए और गंगा को निर्मल बहने दें।