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बीएचयू प्रोफेसर भर्ती में आर्थिक आय वर्ग आरक्षण को हाई कोर्ट में चुनौती, विश्वविद्यालय से जवाब तलब

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी में एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर भर्ती में आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को आरक्षण देने के खिलाफ याचिका पर जवाब मांगा है। विश्वविद्यालय प्रशासन को आठ दिसंबर तक जवाब देना होगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 06:20 PM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 06:20 PM (IST)
बीएचयू प्रोफेसर भर्ती में आर्थिक आय वर्ग आरक्षण को हाई कोर्ट में चुनौती, विश्वविद्यालय से जवाब तलब
हाई कोर्ट ने बीएचयू में प्रोफेसर भर्ती में सामान्य वर्ग को आरक्षण देने के खिलाफ याचिका पर जवाब मांगा है।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) वाराणसी में एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर भर्ती में आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को आरक्षण देने के खिलाफ याचिका पर जवाब मांगा है। विश्वविद्यालय प्रशासन को आठ दिसंबर तक जवाब देना होगा। कोर्ट ने कहा कि यदि जवाब नहीं दाखिल हुआ तो याचिका बिना जवाबी हलफनामा के तय कर दी जाएगी।

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यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर व न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने राजेश कुमार राय की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता आलोक मिश्र ने बहस की। याची का कहना है कि 200 से अधिक एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर की भर्ती में 10 वर्ष सहायक प्रोफेसर का अनुभव होने की योग्यता रखी गई है। किसी भी सहायक प्रोफेसर की वार्षिक आय नौ लाख से कम नहीं है।

आर्थिक रूप से कमजोर अभ्यर्थी की अधिकतम वार्षिक आय आठ लाख रखी गयी है। इस कारण से आर्थिक आय वर्ग का एक भी अभ्यर्थी मिलना असंभव है। ऐसे में सामान्य वर्ग की 21 सीटों पर चयन नहीं हो सकेगा। इससे सामान्य वर्ग के पद खाली रह जाएंगे, इसलिए आर्थिक आय वर्ग का आरक्षण रद किया जाय। याचिका की सुनवाई अब आठ दिसंबर को होगी।


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