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Chaitra Navratri 2021: अष्‍टमी पर मां के महागौरी स्वरूप का श्रृंगार व पूजन, कन्‍या पूजन कर किया हवन

Chaitra Navratri 2021 मंदिरों में मइया के महागौरी स्वरूप का श्रृंगार व पूजन किया गया। मां अलोपशंकरी मंदिर के पालने को पुष्प व पत्तियों से जाकर महागौरी स्वरूप का पूजन किया गया। मां कल्याणीदेवी मंदिर में विधि-विधान से मइया का श्रृंगार करके आरती उतारी गई।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 08:30 PM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 08:30 PM (IST)
Chaitra Navratri 2021: अष्‍टमी पर मां के महागौरी स्वरूप का श्रृंगार व पूजन, कन्‍या पूजन कर किया हवन
मां अलोपशंकरी मंदिर के पालने को पुष्प व पत्तियों से जाकर महागौरी स्वरूप का पूजन किया गया।

प्रयागराज,जेएनएन। मां भगवती का स्तुति पर्व नवरात्र अंतिम पड़ाव पर है। इससे मइया के पूजन-भजन में लीन सनातन धर्मावलंबियों में उदासी है। बचे समय में मइया की कृपा प्राप्ति को हर जतन कर रहे हैं। अष्टमी पर मां के महागौरी स्वरूप का पूजन हुआ। दुर्गा सप्तशती का पाठ करके देवी स्वरूप कन्याओं का पूजन किया गया। व्रती साधक मां के नौ स्वरूप की प्रतीक नौ कन्याओं के पांव में महावर लगाकर उनका पूजन करके फल, मिष्ठान खिलाकर आशीर्वाद लिया।वहीं, मंदिरों में मइया के महागौरी स्वरूप का श्रृंगार व पूजन किया गया। मां अलोपशंकरी मंदिर के पालने को पुष्प व पत्तियों से जाकर महागौरी स्वरूप का पूजन किया गया। मां कल्याणीदेवी मंदिर में विधि-विधान से मइया का श्रृंगार करके आरती उतारी गई।

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- भक्तों ने किया हवन

नवरात्र का व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं ने अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करके हवन किया। वहीं, काफी संख्या में भक्त नवमी तिथि पर बुधवार को हवन करेंगे।

दिन में 11.02 बजे से मनाएं प्रभु श्रीराम का प्राकट्य उत्सव

चैत्र शुक्लपक्ष की नवमी तिथि पर बुधवार को प्रभु श्रीराम का प्राकट्य उत्सव बनाया जाएगा। ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि श्रीराम का प्राकट्य चैत्र शुक्लपक्ष की नवमी तिथि पर दिन में हुआ था। उस समय कर्क लग्न, पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग था। बुधवार को दिन में 11.02 से 1.20 बजे तक कर्क लग्न है। जबकि, मेष राशि में सूर्य, बुध व शुक्र ग्रह का संचरण होगा। श्रीराम का प्राकट्य उत्सव इसी समयावधि में मनाना चाहिए। इससे सौम्यता व शांति की प्राप्ति होगी।

श्रीराम का प्राकट्य उत्सव ऐसे मनाएं

पराशर ज्योतिष संस्थान के निर्देशक आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि प्रभु श्रीराम के चित्र अथवा मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराकर उसमें अक्षत, रोली, चंदन, धूप, गंध अर्पित करके पूजन करें। भगवान को तुलसी का पत्ता, कमल का पुष्प चढ़ाकर फल व खीर का भोग लगाएं।

  इन मंत्रों का करें जप

आचार्य विद्याकांत बताते हैं कि प्रभु श्रीराम के नाम के मंत्रों का जप करना पुण्यकारी होता है। इसमें 'श्रीराम चंद्राय नम:, रामाय नम:, क्लीं राम क्लीं राम, श्रीं राम श्रीं राम, ऊं राम ऊं राम ऊं राम, श्रीराम शरणं मम्, श्रीराम जयराम जय-जय राम में से किसी एक का 108 बार जप करना पुण्यकारी होगा। 


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