बयान दर्ज करने जल्द प्रयागराज में SHUATS आएगी CBI, गलत याचिकाएं दायर कर करोड़ों रुपये का लिया गया भुगतान
गलत याचिकाएं दायर भुगतान लेने को लेकर मुकदमा दर्ज किया है। अब सीबीआइ की टीम कुलपति का बयान दर्ज करने के साथ ही मामले की जांच को लेकर कभी भी दस्तक दे सकती है। दो-तीन दिन के भीतर टीम के आने की संभावना जताई जा रही है।
प्रयागराज,जेएनएन। इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट (डीम्ड यूनिर्विसटी) के कुलपति आरबी लाल पर अब सीबीआइ का शिकंजा कस गया है। सीबीआइ ने कुलपति समेत तीन के खिलाफ गलत याचिकाएं दायर भुगतान लेने को लेकर मुकदमा दर्ज किया है। अब सीबीआइ की टीम कुलपति का बयान दर्ज करने के साथ ही मामले की जांच को लेकर कभी भी दस्तक दे सकती है। दो-तीन दिन के भीतर टीम के आने की संभावना जताई जा रही है।
फर्जी याचिकाओं को दाखिल करने की मंशा को खंगाला जाएगा
वर्ष 2017 में फर्जीवाड़े की शिकायत व पूरे मामले की जांच को लेकर जनहित याचिका दाखिल की गई थी। उसी समय अदालत के आदेश पर कैंट थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। पिछले वर्ष राज्य सरकार ने मामला सीबीआइ को सौंप दिया था। कैंट थाने में दर्ज एफआइआर को देखा गया। इसमें कहा गया था कि इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट में कुलपति आरबी लाल की नियुक्ति, कालेज परिसर में यीशु दरबार आयोजित करने आदि से संबंधित योचिकाएं दाखिल की गईं थीं। आश्चर्य की बात यह रही कि इसमें किसी प्रकार की पैरवी नहीं हुई और आखिर में ये सभी याचिकाएं खारिज हो गईं। इन याचिकाओं में फर्क इतना था कि इसमें गवाह अलग-अलग थे। जांच में पता चला कि याची और गवाह सभी फर्जी हैं। जांच में और भी कई बिंदू फर्जी निकले। तफ्तीश का दायरा आगे बढ़ा तो पता चला कि गलत तरीके से भुगतान भी लिया गया है। इसी को आधार बनाते हुए सीबीआइ ने रिपोर्ट दर्ज की है। अब सीबीआइ की टीम यहां आकर इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट के कुलपति आरबी लाल व मामले से संबंधित अन्य लोगों का बयान दर्ज करेगी। यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि आखिर इतनी फर्जी याचिकाओं को दायर करने की जरूरत क्या थी। किस लाभ के लिए इसका इस्तेमाल किया गया था।
दो दिन पहले शहर में आई थी सीबीआइ टीम
इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट के कुलपति आरबी लाल व अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने से पहले मंगलवार को सीबीआइ की टीम प्रयागराज में थी। उसने वर्ष 2017 में दर्ज मामलों को लेकर कुछ जांच पड़ताल की थी। टीम गोपनीय तरीके से शुआट्स भी गई थी। कुलपति के खिलाफ याचिका दाखिल करने वाले कुछ लोगों से टीम ने संपर्क भी किया था। हालांकि, अधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
वर्ष 2014 में दर्ज रिपोर्ट में लग गई थी एफआर
कैंट थाने में वर्ष 2014 में डीम्ड यूनिर्विसटी के कुलपति आरबी लाल व अन्य के खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज हुई थी। लेकिन कुछ समय बाद इसमें विवेचक ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। इसकी जानकारी दूसरे पक्ष को हुई तो उसने इसके खिलाफ याचिका दाखिल की थी और वर्ष 2017 में एक बार फिर कुलपति आरबी लाल व अन्य के विरुद्ध कैंट थाने में कई धाराओं के तहत मुकदमा लिखा गया था।