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पीसीएस चयन में उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग के अनुभाग अधिकारी की भूमिका संदिग्ध

पीसीएस व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के जरिये अभ्यर्थियों के हुए मनमाने चयन में उप्र लोकसेवा आयोग के कई अनुभाग अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 06 Jun 2018 08:49 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jun 2018 08:30 AM (IST)
पीसीएस चयन में उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग  के अनुभाग अधिकारी की भूमिका संदिग्ध
पीसीएस चयन में उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग के अनुभाग अधिकारी की भूमिका संदिग्ध

इलाहाबाद (जेएनएन)। पीसीएस व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के जरिये अभ्यर्थियों के हुए मनमाने चयन में उप्र लोकसेवा आयोग के कई अनुभाग अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। सीबीआइ अधिकारियों की जो रिपोर्ट तैयार हो रही है उसमें उन अनुभाग अधिकारियों को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है जिन्हें पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल यादव ने नियमों को दरकिनार कर नियुक्त किया था। तमाम लिपिक अनुभाग अधिकारी नियुक्त किए गए थे, जबकि कई समीक्षा अधिकारी अब भी प्रमोशन की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

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अफसरों के सामने खुल रहे कई तरह के राज 

आयोग से एक अप्रैल, 2012 से 31 मार्च, 2017 के बीच आए सभी भर्ती परिणाम की जांच कर रहे सीबीआइ अफसरों के सामने कई तरह के राज खुल रहे हैं। आयोग के रिकॉर्ड समेत विभागों को खंगालने पर सीबीआइ ने अब अनुभाग अधिकारियों की भूमिका को भी संदेह के दायरे में लिया है। जांच में पता चला है कि परीक्षा अनुभाग, गोपन अनुभाग, अतिगोपन अनुभाग और प्रतिष्ठान अनुभाग में डॉ. अनिल यादव ने अनुभाग अधिकारी के पद पर कुछ खास लिपिकों को नियुक्त कर दिया था। पीसीएस, लोअर सबॉर्डिनेट, समीक्षा अधिकारी, पीसीएस जे, एपीओ और सीधी भर्ती की परीक्षाओं के लिए अलग-अलग अनुभाग हैंं। जो पुराने कर्मचारी भर्तियों में गलत तरीके से अभ्यर्थियों के चयन में साथ दे सकते थे उन्हें इन अनुभागों में नियुक्त किया गया था। जो विद्रोह कर सकते थे उन्हें दूसरे अनुभागों में नियुक्त किया गया था। सीबीआइ को सूत्रों ने यह भी बताया है कि डाक और पूछताछ अनुभाग में ऐसे लोगों को नियुक्त किया गया जो अभ्यर्थियों को सूचना देने से मना कर सके तथा बाहर से आए ज्ञापनों को वहीं नष्ट कर सके।

चयन में गड़बड़ी पर किसकी कितनी भागीदारी 

सीबीआइ की जांच में इन सभी अनुभागों के तत्कालीन नियुक्त अधिकारी फंस रहे हैं। सीबीआइ अफसर यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि इन अनुभागों में लिपिकों की बड़े पद पर तैनाती का क्या मकसद था और अभ्यर्थियों के चयन में गड़बड़ी हुई तो इनकी उसमें कितनी भागीदारी थी। आयोग में कार्यरत कई समीक्षा अधिकारियों से भी सीबीआइ को जानकारी मिली है कि वे 2012 में पदोन्नति के योग्य थे लेकिन, उनकी पदोन्नति की फाइल आज भी लंबित है। सीबीआइ को इस पर भी संदेह हुआ है कि समीक्षा अधिकारियों की पदोन्नति न कर लिपिकों को बड़ा ओहदा आखिर किस नियम के तहत दिया गया।

पीसीएस 2017 परीक्षा टालने की सीएम से मांग

पीसीएस (मुख्य) परीक्षा 2017 के घोषित कार्यक्रम से असंतुष्ट अभ्यर्थियों ने अब मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है। अभ्यर्थियों की मांग है कि परीक्षा स्थगित की जाए और पीसीएस 2016 का परिणाम आने के बाद ही पीसीएस 2017 की परीक्षा कराई जाए। राघवेंद्र प्रताप सिंह के साथ कई अभ्यर्थी मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लखनऊ में उनके सरकारी आवास पर मिले। उन्हें उप्र लोकसेवा आयोग की कारगुजारी से अवगत कराया। मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि पीसीएस 2016 का परिणाम निकालने के बाद ही पीसीएस 2017 परीक्षा कराएं। जिससे कि पीसीएस 2016 में चयनित अभ्यर्थी पीसीएस 2017 में शामिल न हों और अन्य अभ्यर्थियों को मौका मिल सके। साथ ही पीसीएस 2017 की मुख्य परीक्षा जुलाई में कराने का अनुरोध किया। 


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