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नए साल से तिमाही रिटर्न जमा कर सकेंगे कारोबारी Prayagraj News

मौजूदा व्यवस्था में डेढ़ करोड़ रुपये सालाना टर्नओवर से कम वाले कारोबारियों को तिमाही और इससे ज्यादा के टर्नओवर वाले व्यवसायियों को मासिक रिटर्न जीएसटीआर-3 बी जमा करना पड़ता है। रिटर्न महीने की 20 तारीख तक जमा करना होता है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 07:00 AM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 07:00 AM (IST)
नए साल से तिमाही रिटर्न जमा कर सकेंगे कारोबारी Prayagraj News
मासिक रिटर्न जमा करने का भी विकल्प व्यापारियों के पास रहेगा।

प्रयागराज,जेएनएन। कोरोना के कारण लागू लॉकडाउन में व्यापारियों को मासिक रिटर्न जमा करने में बड़ी मुश्किलें हुई थीं। इसके मद्देनजर सरकार ने रिटर्न जमा करने की तिथियां बढ़ा दी थीं लेकिन, अब सरकार व्यापारियों की सहूलियत के लिए तिमाही रिटर्न जमा करने का विकल्प भी देने जा रही है। यह व्यवस्था नए साल से लागू हो जाएगी। हालांकि, इसका लाभ पांच करोड़ रुपये सालाना टर्नओवर वाले व्यापारियों को ही मिल सकेगा।

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मौजूदा व्यवस्था में डेढ़ करोड़ रुपये सालाना टर्नओवर से कम वाले कारोबारियों को तिमाही और इससे ज्यादा के टर्नओवर वाले व्यवसायियों को मासिक रिटर्न जीएसटीआर-3 बी जमा करना पड़ता है। रिटर्न महीने की 20 तारीख तक जमा करना होता है। तय समय पर रिटर्न न जमा करने पर ब्याज और विलंब शुल्क भी जमा करना पड़ता है। मगर, जीएसटी काउंसिल ने अब पांच करोड़ से कम सालाना टर्नओवर वाले व्यापारियों के लिए तिमाही रिटर्न की व्यवस्था लागू की है, जो आगामी जनवरी से प्रभावी होगा।

मासिक रिटर्न जमा करने का भी विकल्प व्यापारियों के पास रहेगा। इसके लिए काउंसिल की तरफ से वाणिज्यकर विभाग में प्रस्ताव भेजा गया है। बहरहाल, अभी नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ है। बता दें कि कंपोजिशन के व्यवसायियों को इस व्यवस्था का लाभ नहीं मिलेगा।

शुरुआती दो महीने जमा करना होगा 35 फीसद नकद टैक्स

विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जो व्यापारी तिमाही नकद कर जमा करते हैं, उन्हें नई व्यवस्था के तहत शुरुआती दो महीने में 35-35 फीसद नकद कर जमा करना होगा। आखिरी महीने में दोनों महीनों का बकाया कर और तीसरे महीने का कर मिलाकर जमा करना होगा। जो व्यापारी मासिक जमा करते हैं, उन्हें शत-प्रतिशत नकद कर जमा करना होगा। इस व्यवस्था से व्यापारियों को लेटफीस और हर महीने रिटर्न जमा करने के लिए चार्टर्ड एकाउंटेंट अथवा अधिवक्ताओं को फीस देने से भी निजात मिलेगी।


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