GST : कारोबारी इस खबर पर ध्यान दें, ITC के माध्यम से टैक्स भरने में विलंब पर अब ब्याज नहीं देना होगा ब्याज
आइटीसी के माध्यम से टैक्स की राशि भरने में विलंब पर ब्याज नहीं लगने संबंधी परिवर्तन एक जुलाई 2017 से लागू किया गया है। पहले क्रेता को इनवाइस में पांच फीसद से अधिक आइटीसी मिलने का प्राविधान था जो अब खत्म कर दिया गया।
प्रयागराज, जेएनएन। वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के तहत कोई करदाता विवरण पत्र देरी से जमा करता है और इससे टैक्स भी विलंब से भरता है, तो अब उसे केवल उतनी रकम पर ही ब्याज देना होगा जितना नकद जमा किया है। टैक्स की राशि इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) के माध्यम से भरने पर देरी के लिए ब्याज नहीं देना होगा। ऐसे विक्रय का विवरण भी देना अनिवार्य कर दिया है जिसकी जानकारी क्रेता को कंप्यूटर द्वारा दी जाएगी। यह संशोधन बजट में किया गया है।
जीएसटी काउंसिल की तिथि तय करने के बाद ही लागू होंगे बदलाव
आइटीसी के माध्यम से टैक्स की राशि भरने में विलंब पर ब्याज नहीं लगने संबंधी परिवर्तन एक जुलाई 2017 से लागू किया गया है। पहले क्रेता को इनवाइस में पांच फीसद से अधिक आइटीसी मिलने का प्राविधान था जो अब खत्म कर दिया गया। इससे बिल बेचकर टैक्स की चोरी नहीं की जा सकेगी। कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र गोयल का कहना है कि यह संशोधन जीएसटी काउंसिल की निर्धारित तिथि से लागू होंगे।
प्रोविजनल अटैचमेंट में 'मास्टरमाइंड का भी खाता होगा सीज
प्रोविजनल अटैचमेंट उन मामलों में किया जाता है, जिसमें कर प्रशासन को यह लगता है कि करदाता पर कर देने का जो दायित्व था, वह उसे चुकाए बगैर गायब हो गया। लेकिन अब इसमें परिवर्तन करते हुए गड़बड़ करने वाले करदाता के अलावा उस व्यक्ति का भी खाता अटैच करने का प्राविधान किया गया है जो ऐसे घोटाले का मास्टरमाइंड था।