Coronavirus Effect : लॉकडाउन के बाद अनलॉक में बढ़ा संक्रमण, बाजार हुआ बेजार, व्यापारी परेशान
सरकार की गाइडलाइन पर जिला प्रशासन ने धीरे-धीरे बाजारों को खुलने की स्वीकृति दी लेकिन बहुत से व्यापारी कोविड-19 के नियमों को नजरअंदाज करते हुए कारोबार करने लगे।
प्रयागराज, [राजकुमार श्रीवास्तव]। पिछले कई महीनों से व्यापार चौपट हो गया है और व्यापारी वर्ग आर्थिक मुश्किलों से जूझने पर विवश है। पहले लॉकडाउन के कारण सभी बाजार बंद होने से व्यापार प्रभावित था। लॉकडाउन खुला तो व्यापारियों को उम्मीद जगी कि अब पटरी पर व्यवसाय आ जाएगा। मगर यह क्या, अनलॉक में कोरोना वायरस का प्रकोप तेजी से फैलने से एक बार फिर व्यापार मंदा होने से कारोबारी परेशान हैं।
कोविड-19 के नियमों को नजरअंदाज करते हुए कारोबार करने लगे
शुरू में लॉकडाउन की वजह से करीब दो महीने बाजार बंद रहे। इससे व्यापारियों को हजारों-लाखों रुपये की चोट पहुंची। हर कारोबारी कराह उठा था। उनके अंदर इस बात की छटपटाहट थी कि बाजार कितनी जल्द खुले और रोजी-रोजगार शुरू हो सके। सरकार की गाइडलाइन पर जिला प्रशासन ने धीरे-धीरे बाजारों को खुलने की स्वीकृति दी लेकिन बहुत से व्यापारी कोविड-19 के नियमों को नजरअंदाज करते हुए कारोबार करने लगे।
फिजिकल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ रहीं
सिविल लाइंस जैसे कुछ ओपेन मार्केट को छोड़कर ज्यादातर में दिन भर फिजिकल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ती रहती हैं। तमाम दुकानदार और उनके स्टॉफ मास्क लगाना एक तरह से अपनी तौहीन जैसा समझते हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि कोरोना का कहर बाजारों पर भी तेजी से बरपा। किसी-किसी प्रतिष्ठान के तो पूरे स्टॉफ कोरोना की चपेट में आ गए। बाजारों में तेजी से फैलते कोरोना के कारण 14 दिनों की सीलबंदी से बाजार फिर बेजार हो उठे हैं।
मंडियों की भीड़ पर कौन करे नियंत्रण
कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। शहर का लगभग हर मोहल्ला और गली चपेट में आते जा रहे हैैं। फिर भी तमाम लोग सावधानी बरतने में लापरवाही कर रहे हैं। सब्जी मंडियों में सुबह-शाम ऐसी भीड़ उमड़ती है कि मानो मेला लगा है अथवा मुफ्त सर्कस दिखाया जा रहा है। लोगों को ऐसे लगता कि यह बीमारी उनके लिए नहीं है लेकिन वह भूल रहे हैं कि उनकी यह नादानी उन पर व परिवार पर भारी पड़ सकती है।
महामारी से दूर रहने का फिलहाल सटीक उपचार बचाव
इस महामारी से दूर रहने का फिलहाल सटीक उपचार बचाव ही है, इसलिए मंडियों में खरीदारी करते समय ठेली-ठेला के बजाय उन्हें अपने बचाव के इंतजाम करने हैं। हर जगह भीड़ को पुलिस के डंडे के बल पर ही नियंत्रित करना संभव नहीं है। फिजिकल डिस्टेंसिंग के पालन के लिए मुंडेरा और खुल्दाबाद मंडियों को रात में खुलने का प्रावधान किया गया लेकिन, भेड़चाल जैसी स्थिति रहती है।