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वीआरएस देने के बाद निजी कंपनियों जैसा संचालित होगा बीएसएनएल Prayagraj News

बीएसएनएल में 50 साल से अधिक उम्र वाले कर्मचारियों व अधिकारियों को वीआरएस दिया जा रहा है। अब इसे निजी कंपनी की तरह संचालित किया जाएगा। सिंगल विंडो सिस्टम से काम होगा।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 24 Nov 2019 12:34 PM (IST)Updated: Sun, 24 Nov 2019 12:34 PM (IST)
वीआरएस देने के बाद निजी कंपनियों जैसा संचालित होगा बीएसएनएल Prayagraj News
वीआरएस देने के बाद निजी कंपनियों जैसा संचालित होगा बीएसएनएल Prayagraj News

प्रयागराज, [प्रमोद यादव]। भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) 50 साल से अधिक उम्र वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को वीआरएस देने के बाद नए साल से निजी संचार कंपनियों की तर्ज पर काम करेगा। कुल मिलाकर कम कर्मचारी और अधिक काम की तर्ज पर व्यवस्था चलेगी। सिम लेने, रीचार्ज कराने और बिल जमा करने का काम कॉमन सर्विस सेंटर के जरिए होगा। इसमें कस्टमर का डायरेक्ट इंटरेक्शन अधिकारियों से नहीं होगा। कस्टमर केयर के जरिए मामले सुलझाए जाएंगे। इससे खर्च में कटौती होगी और निगम घाटे से भी उबरेगा।

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जब निजी कंपनियां इस क्षेत्र में आईं तो बीएसएनएल के पांव डगमगा गए

बीएसएनएल सरकारी क्षेत्र की संचार कंपनी है। बड़े-छोटे शहरों में ही नहीं, कहीं-कहीं तो तहसील और गांव स्तर पर भी इसके कर्मचारी तैनात हैं। इससे गांव-गांव तक कंपनी का विस्तार तो हुआ लेकिन जब निजी कंपनियां इस क्षेत्र में आईं तो बीएसएनएल के पांव डगमगा गए। निजी कंपनियां एक कमरे और कम कर्मचारियों से जिले में अपने कार्यों का संचालन कर रही हैं, जबकि बीएसएनएल अपने खर्चों के चलते घाटे में चला गया। अब स्थिति यह हो गई कि उसकी जितनी कमाई है, उससे दोगुना उसके कर्मचारियों के वेतन पर खर्च हो रहा है। इसी कारण पिछले दिनों बीएसएनएल में 50 साल से अधिक उम्र के कर्मचारियों को वीआरएस दिया जा रहा है।

सेवारत कर्मचारियों से काम कराया जाएगा और नई भर्ती नहीं होगी

प्रयागराज में 549 अधिकारियों व कर्मचारियों में से 335 वीआरएस की श्रेणी में हैं। कमोवेश ऐसी ही स्थिति देश भर में है। वीआरएस की प्रक्रिया 31 जनवरी तक पूरी हो जाएगी। उसके बाद सेवारत कर्मचारियों से काम कराया जाएगा और नई भर्ती नहीं होगी। इस आशय की गाइड लाइन जारी कर दी गई है। उसमें कहा गया कि निजी कंपनी की तर्ज पर काम होगा। कई काम फ्रेंचाइजी और आउटसोर्स के जरिए कराए जाएंगे। बड़े शहरों में जमे कर्मचारियों को दूसरे शहरों में भेजा जाएगा। सिंगल विंडो सिस्टम लागू होगा।


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