Move to Jagran APP

इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजेंद्र मिश्र प्रतापगढ़ कांग्रेस के जिलाध्‍यक्ष बने Prayagraj News

बृजेंद्र के नाम पर मुहर लगने के पीछे प्रियंका गांधी का आर्शीवाद माना जा रहा है। तेज-तर्रार छवि के बृजेंद्र का छात्र जीवन में संघर्ष का लंबा नाता रहा है यही उनके चयन का आधार बना।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 10:46 PM (IST)Updated: Fri, 08 Nov 2019 08:25 AM (IST)
इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजेंद्र मिश्र प्रतापगढ़ कांग्रेस के जिलाध्‍यक्ष बने Prayagraj News
इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजेंद्र मिश्र प्रतापगढ़ कांग्रेस के जिलाध्‍यक्ष बने Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। पडोसी जनपद प्रतापगढ़ में लोकसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस संगठन में फेरबदल की कवायद शुरू हो गई थी। संगठन को फिर से मजबूती के साथ खड़ा करने के लिए जिलाध्यक्ष और शहर अध्यक्ष जैसे जिम्मेदार पदों के लिए नए चेहरे की तलाश शुरू थी। वह तलाश इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजेंद्र मिश्र के नाम के साथ ही समाप्त भी हो गई।

loksabha election banner

प्रियंका गांधी का आर्शीवाद माना जा रहा

यूं तो जिलाध्यक्ष की दौड़ में कई नाम शामिल थे। इस कड़ी प्रतिस्पर्धा में सबसे आगे चलने वालों में रानीगंज विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले इविवि के पूर्व अध्यक्ष ब्रजेंद्र मिश्र थे। इनके साथ ही प्रशांत शुक्ला, संतोष तिवारी और डाॅ. लालजी त्रिपाठी भी चर्चा में थे। बृजेंद्र के नाम पर मुहर लगने के पीछे प्रियंका गांधी का आर्शीवाद माना जा रहा है। तेज-तर्रार छवि के बृजेंद्र का छात्र जीवन में संघर्ष का लंबा नाता रहा है, यही उनके चयन का आधार भी बना। वहीं पांच साल की पारी खेल चुके नरसिंह मिश्र का जिलाध्यक्ष का कार्यकाल भी समाप्त हो गया। इससे पहले हाजी रमजान सबसे ज्यादा समय यानि लगातार 18 साल तक जिलाध्यक्ष के पद पर बने रहे, यह रिकार्ड अभी तक कोई तोड़ नहीं पाया है, यह राजा दिनेश सिंह के करीबी माने जाते थे। इसी कड़ी में उनके बाद मो. इसहाक जिलाध्यक्ष बने और दस साल तक कुर्सी संभाली। यह रानी रत्ना सिंह के करीबी थे।

कार्यकर्ताओं के लिए लड़ जाते थे प्रभाकर नाथ

कभी कांग्रेस में बड़े पदों पर रहे ओम प्रकाश पांडेय अनिरुद्ध रामानुजदास कहते हैं, कई और ने भी कांग्रेस के जिलाध्यक्ष पद की कुर्सी संभाली, मगर अब तक कोई जिलाध्यक्ष वह शोहरत न बटोर सका, जो स्व. प्रभाकर नाथ द्विवेदी ने अपने जुझारू तेवर के कारण पायी थी। प्रभाकर नाथ द्विवेदी रहने वाले प्रयागराज के थे, मगर संगठन को मजबूती से खड़ा करने के लिए उस समय के दिग्गज नेता राजा दिनेश सिंह ने उन्हें प्रतापगढ़ बुलाया था। उन्हीं के कहने पर ही पार्टी नेतृत्व ने प्रभाकर नाथ द्विवेदी को कांग्रेस की जिलाध्यक्ष की सौंपी और उसका सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिला। बाद में प्रभाकर बीरापुर विधानसभा से विधायक भी चुने गए।

वह पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए डीएम तक से भिड़ जाते थे

कांग्रेस के पीसीसी सदस्य डाॅ. वीके सिंह की मानें तो आज तक प्रभाकर नाथ द्विवेदी जैसा जिलाध्यक्ष देखने को नहीं मिला। वह पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए डीएम तक से भिड़ जाते थे। लखनऊ भी जाना पड़े तो वहां भी डेरा डाल देते थे। मंत्रियों और मुख्यमंत्री तक से प्रतापगढ़ जिले के विकास के लिए मांगे मनवा लेना उनके बाएं हाथ का काम होता, यही वजह थी कि उनकी एक आवाज पर सैकड़ों कार्यकर्ता कभी भी जुट जाते। वह जमाना भी अलग था, केंद्र से लेकर प्रदेश तक कांग्रेस की हुकूमत हुआ करती थी, उस समय कांग्रेस के जिलाध्यक्ष का वजूद मायने रखता था, उसे बड़ा राजनीतिक रसूख वाला माना जाता था।

देखना है कि वह कांग्रेस में कितनी जान फूंक पाते हैं

डाॅ. सिंह कहते हैं कि हालांकि जिलाध्यक्ष के महत्व की परंपरा भी कांग्रेस के शासन काल तक ही रह गई। बाद की आने वाली गैर कांग्रेस वाली सरकारों में अब वह जलवा सत्ताधारी दलों के जिलाध्यक्षों का नहीं दिखता, जिसकी हनक कभी कांग्रेस के सत्ता में संगठन के जिलाध्यक्षों की होती थी। अब कांग्रेस की बागडोर बृजेंद्र मिश्र के हाथों में है, देखना है कि वह कांग्रेस में कितनी जान फूंक पाते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.