BJP चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक ने विपक्ष को दी सीख, कहा- यह समय राजनीति नहीं एकजुट होकर महामारी से लड़ने का
डॉक्टर ओझा कहते हैं कि यदि कहीं सिस्टम में दोष दिख रहा तो उसकी तरफ जरूर ध्यान आकर्षित करें ताकि उसे तुरंत दुरुस्त किया जा सके। सभी जगह सिस्टम सही है ऐसा नहीं है। खामियां आ ही जाती हैं कभी जाने में तो कभी अनजाने में।
प्रयागराज, जेएनएन। पूरा देश कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रहा है। हर कोई संक्रमण से बचने और अपने आसपास के लोगो को बचाने में लगा है। तमाम विभागों के लोग दिन रात मेहनत कर रहे हैं। स्वयंसेवी संगठन भी अपने अस्तर से लोगों की मदद कर रहे हैं। दुख तब होता है जब ऐसे कठिन समय मे भी लोग स्वार्थ से घिर जाते हैं। मुनाफाखोरी और निचले दर्जे की राजनीति करने लगते हैं। यह कहना है भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक डॉक्टर एलएस ओझा का।
भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक ने कहा कि आज का विपक्ष बहुत ही संकीर्ण मानसिकता से घिर चुका है। उसे सिर्फ कुर्सी और सरकार दिख रही। जनता या लोकहित उसके लिए मायने नहीं रख रहे। इस प्रवृत्ति से किसी का भला नहीं होगा बल्कि जो मानव सेवा हो रही है, जो लोग दिन रात मेहनत कर रहे, वह भी हतोत्साहित हो रहे हैं। आम जनमानस में भी निराशा जग रही। ध्यान रहे टूटे हुवे मनुष्य को स्वस्थ करना बहुत कठिन नहीं नामुमकिन होता है। यदि आप कुछ नहीं कर सकते हो कम से कम चुप रहे।
सिस्टम में दोष हो तो उसे जरूर उजागर करें
डॉक्टर ओझा कहते हैं कि यदि कहीं सिस्टम में दोष दिख रहा तो उसकी तरफ जरूर ध्यान आकर्षित करें ताकि उसे तुरंत दुरुस्त किया जा सके। सभी जगह सिस्टम सही है, ऐसा नहीं है। खामियां आ ही जाती हैं, कभी जाने में तो कभी अनजाने में। कुछ लोग इन्ही खामियों का लाभ लेने की ताक में भी रहते हैं तो समाज के लोगो को विपक्ष को इसकी निगरानी जरूर करनी चाहिए। अनावश्यक रूप से लोगों को व्यवस्था को हतोत्साहित करना गलत है।
भाजपा ने जनहित में हेल्प डेस्क शुरू की है
उन्होंने कहा कि भाजपा ने जनहित में हेल्प डेस्क शुरू की है। कई अन्य संगठनों ने भी इसी तरह के प्रयास किए हैं। अन्य विपक्षी दलों को भी चाहिए अपने स्तर से सहयोग करें। खुद को सिर्फ आलोचना के लिए न समेटें। ऐसा करने से समाज आगे नहीं जाएगा बल्कि चीजें बिखरेंगी। साथ ही लोगों का अधिक नुकसान होगा। कई बार देखा जाता है कि सत्ताधारी दल के लोग ही अपनी पार्टी और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन धरना देते हैं तो वास्तव में किसी बिगड़ी व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए ऐसा करते हैं। वह लोगों का ध्यान उस गड़बड़ी की ओर दिलाना चाहते हैं। ऐसा ही विपक्ष भी कर सकता है पर अनावश्यक रूप से सिर्फ सरकार को कोसना ठीक नहीं।
बोले, पूर्वाग्रह छोड़ कर जन हित मे कार्य करने पर ही अच्छे नतीजे मिलते हैं
रचनात्मक सुझाव देने के साथ कुछ कर के दिखाना भी चाहिए। जनता खुद साथ आएगी। वह समय आने पर उसके अनुसार व्यवहार भी करेगी। इस बात को सभी दलों को समझना चाहिए। यदि सभी दल अपने आसपास स्वस्थ मानसिकता से कार्य करें तो सामाजिक बीमारी का भी इलाज हो जाएगा। ऐसे मौके ही हमे संगठित करते हैं। नई चीजों की तरफ ध्यान आकर्षित कराते हैं लेकिन पूर्वाग्रह छोड़ कर जन हित मे कार्य करने पर ही अच्छे नतीजे मिलते हैं। उदाहरण के तौर पर सोनू सूद को लीजिए। समूची महामारी में वह सच्चे हीरो की तरह व्यवहार करते रहे। हर किसी की जुबान पर उनका नाम आता है। क्या अन्य लोग ऐसा नहीं कर सकते। कर सकते हैं, करना चाहिए। अपने हित मे अपनों के हित में। अपने देश और समाज के हित में।