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उत्‍तर मध्‍य रेलवे की ट्रेनों में लगेंगे बायो वैक्यूम टायलेट, जानें इसकी क्‍या होगी खासियत

एनसीआर की कानपुर शताब्दी एक्सप्रेस व प्रयागराज से दिल्ली के बीच चलने वाली हमसफर एक्सप्रेस में बायो वैक्यूम टायलेट लगाए गए हैं। वहीं शुरूआत में यह वीआइपी ट्रेन या नई बनने वाली ट्रेनों में ही लगेंगे। धीरे-धीरे यह सुविधा सभी ट्रेनों में दी जाएगी।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 11:42 AM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 11:42 AM (IST)
उत्‍तर मध्‍य रेलवे की ट्रेनों में लगेंगे बायो वैक्यूम टायलेट, जानें इसकी क्‍या होगी खासियत
बायो वैक्‍यूम टायलेट की सुविधा एनसीआर की ट्रेनों में यात्रियों को दी जाएगी।

प्रयागराज, [अमरीश मनीष शुक्ल]। उत्‍तर मध्‍य रेलवे (एनसीआर) की ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों को बायो वैक्‍यूम टायलेट की सुविधा मिलेगी। यानी ट्रेनों में अब बायो वैक्यूम टायलेट लगेगा। यह पर्यावरण संरक्षण में मदद करेगा। पानी की अधिक बर्बादी को रोकेगा। यहां साफ सफाई बहुत आसान और बेहतर होगी। इसकी शुरूआत भी हो चुकी है।

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एनसीआर की दो ट्रेनों में मिली है सुविधा

उत्तर मध्य रेलवे की दो ट्रेन के 40 कोचों में 130 बायो वैक्यूम टायलेट लगे हैं। वहीं शुरूआत में यह वीआइपी ट्रेन या नई बनने वाली ट्रेनों में ही लगेंगे। धीरे-धीरे यह सुविधा सभी ट्रेनों में दी जाएगी। एनसीआर की कानपुर शताब्दी एक्सप्रेस व प्रयागराज से दिल्ली के बीच चलने वाली हमसफर एक्सप्रेस में बायो वैक्यूम टायलेट लगाए गए हैं। इस समय कानपुर शताब्दी के 20 कोच में 60 व हमसफर के 20 कोच में 70 बायो वैक्यूम टायलेट लगे हैं। रेलवे बोर्ड ओर से मौजूदा वित्त वर्ष में 130 बायो वैक्यूम टायलेट का टारगेट एनसीआर को दिया गया था, जो पूरा हुआ है। अब नए वित्त वर्ष में दूसरी ट्रेनों में बायो वैक्यूम टायलेट लगाए जाएंगे।

क्या है बायो वैक्यूम टायलेट

ट्रेन का बायो वैक्यूम टायलेट, हवाई जहाज के वैक्यूम टायलेट से मिलता जुलता है। हवाई जहाज में जहां पानी का इस्तेमाल नहीं होता, वहीं ट्रेन में बायो वैक्यूम टायलेट में नाम मात्र का पानी इस्तेमाल होगा। वैक्यूम के कारण फ्लश दबाने पर मात्रा आधा लीटर पानी में सफाई हो जाएगी। यह बायो टायलेट का अपग्रेटेड रूप है। टायलेट की साफ सफाई और मल को टैंक तक ले जाने की प्रक्रिया वैक्यूम के जरिए होगी। इसमें मल सड़क पर गिरता हुआ नहीं चलता, बल्कि बैक्टेरिया की मदद से इसे पानी और गैस में बदल दिया जाता है।

शौचालय के नीचे बायो डाइजेस्‍टर कंटेनर काम की चीज है

शौचालय के नीचे बायो डाइजेस्टर कंटेनर लगा है। इसमें एनेरोबिक बैक्टीरिया होते हैं। यह मानव मल को पानी और गैसों में बदलता है। मल सडऩे के बाद केवल मीथेन गैस और पानी ही शेष बचता है। पानी पुन:चक्रित (री-साइकिल) हो कर शौचालय में इस्तेमाल होता है। गैस बाहर और क्लोरिनेशन के बाद दूषित जल पटरियों पर छोड़ते हैं।

कानपुर शताब्‍दी व हमसफर में लगे हैं बायो वैक्‍यूम टायलेट

एनसीआर के सीपीआरओ डाक्‍टर शिवम शर्मा कहते हैं कि अभी कानपुर शताब्दी और हमसफर में 130 बायो वैक्यूम टायलेट लगाए गए हैं। बोर्ड के द्वारा जो लक्ष्य निर्धारित किए गए थे वह पूरे कर लिए गए हैं। जैसे ही आगे लक्ष्य आता है, दूसरी ट्रेनों में भी लगाए जाएंगे।


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