Move to Jagran APP

प्रयागराज में प्रतिबंधित चायनीज मांझे की दुकानों पर छापेमारी, पुलिस ने दुकानों और गोदामों को खंगाला

प्रतिबंधित चाइनीज मांझा को लेकर पुलिस तभी कोई अभियान चलाती है जब कोई घटना होती है। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। इसे लेकर लोगों का कहना है कि हमेशा पुलिस तभी सक्रिय होती है जब किसी की जान चली जाती है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 08 Nov 2021 02:28 PM (IST)Updated: Mon, 08 Nov 2021 02:28 PM (IST)
प्रयागराज में प्रतिबंधित चायनीज मांझे की दुकानों पर छापेमारी, पुलिस ने दुकानों और गोदामों को खंगाला
प्रयागराज में चायनीज मांझे से युवक की मौत के बाद पुलिस हरकत में आ गई है। छापेमारी कर रही है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। प्रयागराज शहर में नए यमुना पुल पर प्रतिबंधित चाइनीज मांझे से हुई बाइक सवार अफरोज निवासी बड़ोखर बाजार की मौत के बाद पुलिस हरकत में आ गई है। सोमवार की सुबह से ही शहर के मांझे की दुकानों पर छापेमारी शुरू कर दी गई है। दुकानों के साथ ही गोदामों को भी खंगाला जा रहा है। दुकानदारों से पूछताछ की जा रही है कि चाइनीज मांझा कहां से मंगाया जा रहा है। कौन-कौन दुकानदार हैं जो चोरी-छिपे इसकी बिक्री कर रहे हैं।

prime article banner

पिछली बार की तरह पुलस की सिर्फ खानापूर्ति तो नहीं

प्रतिबंधित चाइनीज मांझा को लेकर पुलिस तभी कोई अभियान चलाती है, जब कोई घटना होती है। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। इसे लेकर लोगों का कहना है कि हमेशा पुलिस तभी सक्रिय होती है, जब किसी की जान चली जाती है। दो-चार दिन पतंग-मांझे की दुकानों में तलाशी अभियान चलाया जाता है और फिर सब बंद हो जाता है। इस बार भी पुलिस कहीं ऐसा न करे। प्रतिबंधित चाइनीज मांझे की बिक्री रोकने के लिए नियमित अभियान चलाने की जरूरत है, तभी इस पर अंकुश लगेगा।

देशी मांझे से मिलता है कम दाम पर

प्रतिबंधित चाइनीज मांझा देशी मांझे के मुकाबले काफी कम दाम पर मिलता है। एक लटाई देशी मांझा 500-600 में मिलता है, जबकि चाइनीज मांझा 150-200 रुपये में प्रति लटाई मिलता है। पेंच लड़ाने पर यह जल्दी कटता भी नहीं है। यही कारण है जब ये किसी के गर्दन में फंस जाता है तो लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ जाती है। वहीं देशी मांझा गर्दन या हाथ में फंसने के बाद थोड़ा जोर लगाने पर टूट जाता है। इससे बहुत कम ही गर्दन कटने की संभावना रहती है। यही वजह है कि देशी मांझे से यदा-कदा ही कोई जख्मी होता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.