Banana Farming : प्रतापगढ़ में तालाब के बंधे पर की जा रही 'नगदी' दिलाने वाली खेती
प्रतापगढ़ में सदर ब्लाक की ग्राम पंचायत कुसमी में केले के पौधों में फल भी लगने लगे हैं। नसरीन कहती हैं कि केले की बिक्री से होने वाली आय ग्राम पंचायत के खाते में जमा की जाएगी।
प्रयागराज, जेएनएन। तरक्की देखनी हो तो प्रतापगढ़ में सदर ब्लाक की ग्राम पंचायत कुसमी आएं। यहां इन दिनों केले की फसल लहलहा रही है। उम्मीद है कि इसकी बिक्री से होने वाली आय गांव पंचायत के लोगों की जिंदगी बदल देगी। गांव के सरकारी तालाब पर केले की खेती की यह नई इबारत इसी साल अप्रैल में लिखी गई। सूत्रधार बनीं गांव प्रधान नसरीन बानो। उन्होंने आंध्र प्रदेश से पौधे मंगवाए। तालाब के बंधे की जमीन पर इसे लगवाया। निराई, गुड़ाई व सिंचाई का सिलसिला जारी रखा।
केले की बिक्री से आय ग्राम पंचायत के खाते में जमा
करीब छह माह में केले के पौधे पूरी तरह तैयार हो गए हैं। अब तो फल भी लगने लगे हैं। नसरीन कहती हैं कि केले की बिक्री से होने वाली आय ग्राम पंचायत के खाते में जमा कराई जाएगी। काम में लगे मजदूरों को मजदूरी भी दी जाएगी। ग्राम सभा की खाली जमीन पर भी केले की खेती करने की योजना है। नसरीन कहती हैैं कि हर काम के लिए सरकारी मदद की बाट जोहना ठीक नहीं।
परिवार के लोग भी करते हैं सहयोग
नसरीन के इस मिशन में उनका परिवार भी साथ है। पति अब्दुल गफ्फार, बेटे इबनैन, हुसनैन सहित परिवार अन्य सदस्य भी सहयोग करते हैं। प्रधान सहित परिवार के लोगों की नियमित दिनचर्या बन गई है। इन दिनों तालाब पर केले की खेती देखते ही बनती है। इधर से गुजरने वालों की नजर एक बार जरूर लहलहाते केले की फसल पर पड़ जाती है।
श्रमदान करने वाले भी गदगद
गांव के ही जंग बहादुर पटेल, शमशाद आलम, मुन्नू, नरङ्क्षसह बहादुर, समर बहादुर, फरीद, कल्लू आदि ने केल की खेती में पसीना बहाया था। गोड़ाई करने के साथ ही दवाओं का छिड़काव भी किया था। उनकी मेहनत रंग ला रही है तो सभी बेहद खुश हैैं। कहते हैैं कि प्रधान की सहायता से वह भी केले की खेती करेंगे।
ग्राम पंचायत में होंगे विकास कार्य
केले की खेती से होने वाली आय पहले ग्राम पंचायत के खाते में जमा कराई जाएगी। फिर अफसरों से अनुमति लेकर चकरोड, पौधारोपण, तालाब की सफाई के साथ ही बंधे पर रंग बिरंगे फूल के पौधे लगाने का कार्य कराया जाएगा।
बोलीं, ग्राम प्रधान नसरीन
कुसमी की ग्राम प्रधान नसरीन बानो कहती हैं कि तालाब का बंधा खाली पड़ा था। सोचा कि क्यों न इस पर केले की खेती की जाए। पांच से छह माह में पौधों में फल भी आ गया है। इसकी बिक्री से मिला पैसा ग्राम पंचायत के खाते में जमा किया जाएगा और विकास कार्य कराए जाएंगे। खेती से तालाब खूबसूरत दिखने लगा है।