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बदमाश भारी, खाकी बनी बेचारी

इलाहाबाद : गर्मी के साथ ही अपराध का पारा भी चढ़ता ही जा रह है। सूरज तेवर में है तो बदमाश बेखौफ हैं। हर रोज बदमाश भारी पड़ रहे हैं, ऐसे में खाकी बेचारी ही साबित हो रही है। मनमोहन पार्क जैसे अति व्यस्त इलाके में बेखौफ शूटरों ने जिस ढंग से वकील की हत्या की वह खाकी के खत्म होते इकबाल की तरफ ही इशारा है। इससे पहले फूलपुर में मंत्रियों के करीबी भाजपा पार्षद पवन केसरी की सरेआम हत्या अपनी कहानी खुद बयां कर गई। बदमाशों के बेकाबू होने के पीछे खाकी के बंधे हुए हाथ की कहानी भी है। हर मामले का राजनीतिकरण कानून व्यवस्था के लिए भारी मुश्किल खड़ा कर रहा है। पुलिस अधिकारी सरेआम हत्या करने वालों पर शिकंजा नहीं कस पा रहे हैं। महज बड़ी वारदातों पर नजर डालें तो वारदातों से जिला दहला ही नजर आएगा। आठ मई की रात फूलपुर में भाजपा पार्षद पवन केसरी की गोली मारकर हत्या कर दी जाती है। दो आरोपितों को पुलिस गिरफ्तार करती है, शूटर पुलिस के हाथ नहीं आते।

By JagranEdited By: Published: Fri, 11 May 2018 08:05 AM (IST)Updated: Fri, 11 May 2018 08:05 AM (IST)
बदमाश भारी, खाकी बनी बेचारी
बदमाश भारी, खाकी बनी बेचारी

इलाहाबाद : गर्मी के साथ ही अपराध का पारा भी चढ़ता ही जा रह है। सूरज तेवर में है तो बदमाश बेखौफ हैं। हर रोज बदमाश भारी पड़ रहे हैं, ऐसे में खाकी बेचारी ही साबित हो रही है। मनमोहन पार्क जैसे अति व्यस्त इलाके में बेखौफ शूटरों ने जिस ढंग से वकील की हत्या की वह खाकी के खत्म होते इकबाल की तरफ ही इशारा है। इससे पहले फूलपुर में मंत्रियों के करीबी भाजपा पार्षद पवन केसरी की सरेआम हत्या अपनी कहानी खुद बयां कर गई। बदमाशों के बेकाबू होने के पीछे खाकी के बंधे हुए हाथ की कहानी भी है। हर मामले का राजनीतिकरण कानून व्यवस्था के लिए भारी मुश्किल खड़ा कर रहा है।

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पुलिस अधिकारी सरेआम हत्या करने वालों पर शिकंजा नहीं कस पा रहे हैं। महज बड़ी वारदातों पर नजर डालें तो वारदातों से जिला दहला ही नजर आएगा। आठ मई की रात फूलपुर में भाजपा पार्षद पवन केसरी की गोली मारकर हत्या कर दी जाती है। दो आरोपितों को पुलिस गिरफ्तार करती है, शूटर पुलिस के हाथ नहीं आते। महकमे में खास चर्चा है कि असली कातिल तक पुलिस नहीं पहुंचती इससे पहले ही मामले को दूसरा मोड़ दे दिया गया। इसमें पुलिस बेबस दिखाई दे रही है। इसी दिन स्कूल प्रबंधक अब्दुल रफीक की पीट पीटकर हत्या कर दी जाती है। ये हत्या साबित करती है कि दबंगों के मन में पुलिस का खौफ नहीं था। चार मई को धूमनगंज में बालू कारोबारी रामबाबू की कनपटी पर गोली मार हत्या कर दी जाती है। रामबाबू घर के बाहर सो रहे थे तभी बाइक से पहुंचे बदमाशों ने गोली मारी और निकल भागे। कहां थी पीकेट, कहां थी थानों की पुलिस इसका जवाब किसी के पास नहीं है। 30 अपै्रल को बारा में सर्वेश कुमार सिंह की गोली मारकर हत्या हुई। इसी के दो दिन पहले 28 अप्रैल को सीएमपी मोड़ पर एलएलबी छात्र सत्येंद्र की गोली मारकर हत्या की गई। 22 अप्रैल को खीरी में ग्यारहवीं के छात्र हत्या की हत्या होती है तो 20 अपै्रल को खीरी में महेंद्र यादव की हत्या से सनसनी फैल जाती है।


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