August Kranti Diwas : प्रयागराज के ऐतिहासिक आनंद भवन में बना था भारत छोड़ो आंदोलन का मसौदा
August Kranti Diwas प्रो. तिवारी के अनुसार अगस्त क्रांति भले ही 9 अगस्त 1942 को मुंबई से शुरू हुई लेकिन मसौदा प्रयागराज (पूर्ववर्ती इलाहाबाद) में बना था।
प्रयागराज, [गुरुदीप त्रिपाठी]। वर्ष 1942 में 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' का नारा यूं तो नौ अगस्त को मुंबई के ग्वालिया टैैंक मैदान से गूंजा लेकिन इसका मसौदा प्रयागराज (पूर्ववर्ती इलाहाबाद) स्थित ऐतिहासिक आनंद भवन में तय हुआ था। महात्मा गांधी की मौजूदगी में हुई मंत्रणा के दौरान आर या पार की लड़ाई छेडऩे पर सहमति बनी थी। इस साल अगस्त के दूसरे सप्ताह में शहर अनूठे देशप्रेम का साक्षी बना।
महात्मा गांधी ने जनांदोलन 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' नारे के साथ शुरू किया था
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग के प्रो. योगेश्वर तिवारी बताते हैैं कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी ने देशव्यापी स्तर पर जनांदोलन 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' नारे के साथ शुरू किया था। इसे अगस्त क्रांति के रूप में जाना जाता है। गांधी जी ने 'करो या मरो' का नारा दिया था। प्रो. तिवारी के अनुसार अगस्त क्रांति भले ही 09 अगस्त 1942 को मुंबई से शुरू हुई लेकिन मसौदा प्रयागराज (पूर्ववर्ती इलाहाबाद) में बना था। आनंद भवन में हुए कांग्रेस के अधिवेशन में बापू ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन की बात की थी।
शहर में था जोश भरा माहौल
प्रयागराज (इलाहाबाद) जिला मुख्यालय पर 9 अगस्त 1942 को माहौल देशभक्ति से ओतप्रोत था। अंग्रेजी हुकूमत ने सबसे पहले आनंद भवन को घेर लिया था। वहां से आवाजाही पर पूरी तरह रोक लगा दी। इंदिरा गांधी को गिरफ्तार कर लिया गया। शहर में आंदोलन की कमान विजय लक्ष्मी की बेटी और पंडित जवाहर लाल नेहरू की भांजी नयनतारा सहगल ने संभाल रखी थी।
लाल पद्मधर ने संभाला तिरंगा, दे दी जान
12 अगस्त को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने कलेक्ट्रेट में तिरंगा फहराने का निर्णय लिया था। इसकी भनक लगी तो अंग्रेजी पुलिस ने घेर लिया। महिलाओं की अगुवाई शहर कांग्रेस कमेटी की सचिव पूर्णिमा बनर्जी, सुचेता कृपलानी और इतिहास विभाग के प्रो. आरपी त्रिपाठी की बेटी कमला त्रिपाठी कर रही थीं। युवाओं में सबसे आगे थे हेमवती नंदन बहुगुणा, सीवी त्रिपाठी और बीएससी के छात्र लाल पद्मधर। कलेक्ट्रेट पर तिरंगा फहराने गई भीड़ को तत्कालीन कलेक्टर डिक्सन ने रोका तो डिप्टी सुपरिटेंडेंट आगा ने हवाई फायर की। जब भीड़ नहीं मानी तो आगा ने फायरिंग का आदेश दे दिया। गोलियों से बचने के लिए महिलाएं जमीन पर लेट गईं। जैसे ही नयनतारा सहगल के हाथों से तिरंगा गिरने लगा, लाल पद्मधर ने संभाल लिया हालांकि वह गोलियों से छलनी हो गए। मौके पर ही उनके प्राणपखेरू उड़ गए।
काम आई चीफ प्रॉक्टर की सूझबूझ
लाल पद्मधर की शहादत का जबर्दस्त विरोध हुआ। इविवि छात्रसंघ मैदान में कूद पड़ा। छात्रों ने डिक्सन की प्रतीकात्मक शव यात्रा निकाली। चारों तरफ नारा गूंजने लगा डिक्सन का जनाजा है जरा धूम से निकले...। पुलिस ने इविवि में घुसने की कोशिश की तो तत्कालीन चीफ प्रॉक्टर ने गेट बंद करवा दिया और सख्त लहजे में निर्देश दिया कि किसी छात्र को कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए।