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Attack on malnutrition: प्रतापगढ़ में कुपोषण पर वार, घर-घर दस्तक देगी स्‍वास्‍थ्‍य टीम

Attack on malnutrition ऐसे में जिले में कुपोषित बच्चों का पता घर-घर जाकर आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ता लगाएंगी। वह वजन करके कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों की सूची बनाएंगी। इसकी रिपोर्ट सीएचसी को भेजी जाएगी। चिकित्सक उसे चेक करेंगे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 30 Sep 2020 04:44 PM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 05:14 PM (IST)
Attack on malnutrition: प्रतापगढ़ में कुपोषण पर वार, घर-घर दस्तक देगी स्‍वास्‍थ्‍य टीम
जिले में कुपोषित बच्चों का पता घर-घर जाकर आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ता लगाएंगी।

प्रतापगढ़,जेएनएन। जिले में पिछले छह महीने से कोरोना काल में विलेज हेल्थ न्यूट्रीशन डे कार्यक्रम बंद रहा। इससे बच्चों का वजन लेने का काम भी न हो सका। अब घर-घर टीमें लगाकर कुपोषित बच्चों की पहचान के लिए जाएंगी। आंगनबाड़ी केंद्रों पर कोरोना संकट के पहले तक बुधवार व शनिवार को बच्चों का वजन होता था। इसके लिए जिले के 12 सौ आंगनबाड़ी केंद्रों पर इलेक्ट्रानिक तौल मशीन दी गई थी। इसके जरिए बच्चों का वजन करके लिस्ट क्षेत्र के सीएचसी, पीएचसी व सीएमओ कार्यालय को दी जाती थी।

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आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर कुपोषित बच्‍चों के बारे में पता लगाएंगी

जरूरत पडऩे पर कुछ बच्चों को जिला अस्पताल में एनएचएम के तहत संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कर देखरेख की जाती थी। इससे वह स्वस्थ हो जाते थे। कोरोना ने ऐसा प्रतिबंध लगाया कि केंद्र बंद हो गए। इससे कुपोषित बच्चों की पड़ताल करीब छह महीने तक नहीं हो सकी। अब भी केंद्र बंद ही हैं। ऐसे में जिले में कुपोषित बच्चों का पता घर-घर जाकर आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ता लगाएंगी। वह वजन करके कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों की सूची बनाएंगी। इसकी रिपोर्ट सीएचसी को भेजी जाएगी। चिकित्सक उसे चेक करेंगे। जिस बच्चे का वजन उनको बहुत कम लगेगा उसे पोषण केंद्र में भर्ती करने को भेजेंगे। यह केंद्र जिला अस्पताल में एनएचएम द्वारा संचालित है। इसमें बच्चों के पोषण व भर्ती करने की सुविधा दी गई है। यह रात में भी खुलता है। अफसर इसका निरीक्षण भी करते हैं।

कमिश्‍नर ने काम में तेजी लाने के दिए थे निर्देश

पिछले दिनों जिले के दौरे पर आए मंडलायुक्त आर रमेश कुमार ने भी इस पर तेजी से काम करने को कहा था। इस बारे में सीएमओ डा. एके श्रीवास्तव का कहना है कि कुपोषित बच्चों के बारे में विभाग को सूचना हर महीने आती थी, जो अब बंद है। इसकी वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है। सभी चिकित्सा अफसरों के इस बात के निर्देश दे दिए गए हैं।


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