प्रतियोगी परीक्षा का उपहास: सहायक अध्यापक की लिखित परीक्षा में चंद अंक से फेल अब हो रहे पास
प्रतियोगी परीक्षा में इन दिनों गलत जवाब देने वालों को भी अंक मिल रहे हैं। करीब दो दर्जन अभ्यर्थी शिक्षक बनने के मुहाने तक पहुंच गए हैं तो तमाम इस रेस में शामिल हो रहे।
प्रयागराज [धर्मेश अवस्थी]। किसी भी एकेडमिक और प्रतियोगी परीक्षाओं में सवाल पूछे जाते हैं और परीक्षार्थी उनके जवाब देते हैं। दीर्घ व लघु उत्तरीय प्रश्नों के जवाब में कई परीक्षा संस्थाओं में स्टेप मार्किंग के आधार पर अंक मिलते हैं। अति लघु उत्तरीय प्रश्नों में एकेडमिक परीक्षा संस्थाएं राहत नहीं देती। जवाब सही होने पर पूरे अंक और गलत होने पर शून्य मिलता है। इसके उलट प्रतियोगी परीक्षा में इन दिनों गलत जवाब देने वालों को भी अंक मिल रहे हैं। करीब दो दर्जन अभ्यर्थी शिक्षक बनने के मुहाने तक पहुंच गए हैं तो तमाम इस रेस में शामिल हो रहे।
हम बात कर रहे बेसिक शिक्षा परिषद की 68500 सहायक अध्यापक भर्ती लिखित परीक्षा की। योगी सरकार ने पहली बार शिक्षक भर्ती के लिए लिखित परीक्षा का प्रावधान किया। ज्ञात हो कि इसके पहले एकेडमिक मेरिट पर भर्तियां हो रही थी। इम्तिहान कराने के दो मकसद थे, पहला योग्य अभ्यर्थियों का चयन, जो बच्चों को अच्छी शिक्षा देंगे। दूसरा, पिछली भर्तियों में शिक्षक बनने वाले तमाम अध्यापक अवकाश आदि लेने के लिए अफसरों को प्रार्थनापत्र तक सही से नहीं लिख पा रहे थे। तबादलों के लिए प्रत्यावेदन मांगे गए तो यह बात और पुष्ट हुई। कम से ऐसे अभ्यर्थी चयन से बाहर रहेंगे। इसीलिए 68500 शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा हुई। इसमें महज 41556 अभ्यर्थी ही उत्तीर्ण हुए। हालांकि कई अभ्यर्थी मूल्यांकन सही न होने व अंक गलत दर्ज होने से फेल हो गए।
पुनर्मूल्यांकन में 4700 उत्तीर्ण
सरकार ने कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन कराया तो करीब 4700 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए। इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थी मूल्यांकन में गड़बड़ी के कारण उत्तीर्ण नहीं हुए, बल्कि कोर्ट ने अनिरुद्ध नारायण शुक्ल के केस में आदेश दिया कि कटिंग व मामूली गलतियों को नजरअंदाज कर अंक दिए जाएं। इसके बाद इस निर्णय का लाभ बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को मिला।
अब ताबड़तोड़ अभ्यर्थी हो रहे उत्तीर्ण
पुनर्मूल्यांकन में जो अभ्यर्थी चंद अंकों से उत्तीर्ण नहीं हो सके, उन्होंने कोर्ट में गलत मूल्यांकन को चुनौती दी। तमाम अभ्यर्थी गलत जवाब लिखने के बाद भी अंक पाने के हकदार बने हैं। यही नहीं परीक्षा संस्था की विषय विशेषज्ञ रिपोर्ट ने मूल्यांकन को सही ठहराया, फिर भी अभ्यर्थी उत्तीर्ण हो रहे हैं। अब तक 22 अभ्यर्थी वाजिब अंक पाने में सफल रहे हैं। इनकी देखादेखी कोर्ट में याचिका करने वालों की लाइन लगी है। ऐसे भी अभ्यर्थी मूल्यांकन को चुनौती दे रहे हैं जिन्होंने दोबारा मूल्यांकन के लिए आवेदन ही नहीं किया था। उन पर कटिंग व मामूली त्रुटि का संज्ञान न लेने का नियम लागू नहीं हो रहा, फिर भी वे लाभ पा रहे हैं।
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