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Allahabad University के असिस्टेंट प्रोफेसर ने बचपन पर लिखी थी कविता, अब लोगों को भा रही है, आप भी पढ़िए

इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के सहायक जनसंपर्क अधिकारी डॉक्‍टर चित्‍तरंजन कुमार इन दिनों अपनी कविता के माध्‍यम से प्रसिद्ध हैं। उन्‍होंने बचपन पर कविता लिखी है जो खूब पढ़ी जा रही है। असिस्‍टेंट प्रोफेसर डॉक्‍टर चित्‍तरंजन कुमार सांस्कृतिक गतिविधियों का भी जिम्मा सम्भाल रहे हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 27 Apr 2021 08:42 AM (IST)Updated: Tue, 27 Apr 2021 08:42 AM (IST)
Allahabad University के असिस्टेंट प्रोफेसर ने बचपन पर लिखी थी कविता, अब लोगों को भा रही है, आप भी पढ़िए
इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय के असिस्‍टेंट प्रोफेसर डॉक्‍टर चित्‍तरंजन कुमार अपनी कविता के माध्‍यम से इन दिनों प्रसिद्ध हैं।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) में हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर चित्तरंजन कुमार ने बचपन पर कविता लिखी है। यह खूब पढ़ी जा रही है। चित्तरंजन इस वक्त सहायक जनसंपर्क अधिकारी के अलावा सांस्कृतिक गतिविधियों का भी जिम्मा सम्भाल रहे हैं। इसके पहले भी वह कई कविता लिख चुके हैं। इस कविता के जरिए उन्होंने बचपन को बखूबी शब्दों में पिरोया है।

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 कविता की यह हैं पंक्तियां

अगर बच गया तो

बच्चे की तरह जिऊंगा बाकी जिंदगी

अब दौडूंगा सिर्फ तितलियों के पीछे

छपाक से कूद जाऊँगा किसी नदी में

सुस्ताने के लिए बैठूंगा किसी पेड़ की छाँव में

बेवजह घुस जाऊंगा किसी के खेत में

और सबसे मोटे गन्ने को उखाड़कर चूस लूंगा उसका पोर पोर

खट्टे मीठे बेर खाये बिना ही गवां दी इतनी जिंदगी

फेफड़ों में महुए की सुगंध भरे जमाना हुआ

बचा तो अबकी बार पोसूंगा एक सुग्गा

और उसके साथ सीखूंगा प्रकृति की भाषा

अगर बच गया तो मनुष्यों की बनाई दुनिया से

वापस लौट जाऊंगा ईश्वर की बनाई दुनिया में।

डॉक्टर श्लेष गौतम ने भी लिखीं चंद लाइन

वरिष्ठ कवि डॉक्टर श्लेष गौतम ने भी चंद लाइन लिखी है। वह कहते हैं कि आज के माहौल में जब चारों और दुख है, निराशा है, संकट है, आशंकाएं हैं, समस्याएं हैं। उस दौर में जो भी अच्छे सकारात्मक सर्जनात्मक सहयोगी और मदद के प्रयास हो रहे हैं उनको सिर्फ दो पंक्तियों में समेटने का प्रयास किया गया है। ताकि अच्छे लोगों की यह अच्छी भावना बनी रहे और इस संकट काल और असाधारण चुनौती से लड़ने में हम सबको हिम्मत मिली और और अच्छे लोग आ गए हैं और भले लोग अपनी सेवाएं दें।

यही इक बात मुझको, हौसला दिन रात देती है

अभी कुछ लोग अच्छे हैं, अभी उम्मीद बाकी है।


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