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माघमेला के लिए जमीन पर सेना का पेच, नहीं दी अनुमति Prayagraj News

नवंबर शुरू हो गया लेकिन अब तक सेना से इस जमीन के लिए अनुमति नहीं मिली है। जिला प्रशासन ने जमीन के लिए आवेदन किया तो सेना के रक्षा संपदा विभाग ने उस पर आपत्ति लगा दी।

By Edited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 08:38 PM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 06:46 PM (IST)
माघमेला के लिए जमीन पर सेना का पेच, नहीं दी अनुमति Prayagraj News
माघमेला के लिए जमीन पर सेना का पेच, नहीं दी अनुमति Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। जिला प्रशासन ने माघ मेला की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए अब तक कई टेंडर भी हो चुके है। गंगा किनारे समतलीकरण का काम भी चल रहा है। हालांकि जिस जमीन पर माघ मेला लगना है, उसके लिए सेना ने अनुमति नहीं दी है। सेना ने कहा कि उनका प्रशासन पर 1.17 करोड़ रुपये बकाया है। उसका भुगतान नहीं होने के कारण अनुमति नहीं दी गई है।

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माघ मेला स्‍थल की जमीन सेना की है

गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के किनारे माघ मेला लगाने के लिए जिला प्रशासन हर साल पहली अक्टूबर से 31 मार्च तक छह महीने के लिए परेड मैदान की जमीन सेना से लेता है। यहां जमीन सेना की है। नवंबर शुरू हो गया लेकिन अब तक सेना से इस जमीन के लिए अनुमति नहीं मिली है। जिला प्रशासन ने जमीन के लिए आवेदन किया तो सेना के रक्षा संपदा विभाग ने उस पर आपत्ति लगा दी। आपत्ति यह है कि जिला प्रशासन ने पिछले बकाए का भुगतान नहीं किया है।

सेना ने प्रशासन से 1.17 करोड़ रुपये भुगतान करने को कहा है

कुंभ मेला के दौरान सेना ने किला की दीवार तोड़कर अक्षयवट के लिए रास्ता बनाया था। इस कार्य को सेना की एमईएस (मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस) कोर ने किया था। इसके लिए एमईएस ने 60 लाख का बिल बनाया और प्रशासन से भुगतान मांगा। ऐसे ही परेड ग्राउंड में सीवर लाइन बिछाने की अनुमति देने के लिए रक्षा संपदा ने जिला प्रशासन से 40 लाख की डिमांड की। इसके अलावा कुंभ मेला के दौरान दुकानों के आवंटन से आई धनराशि में से 17 लाख रुपये कैंट बोर्ड को चाहिए थे। इस तरह सेना ने प्रशासन से 1.17 करोड़ रुपये भुगतान करने को कहा। सेना की ओर से बताया गया कि जिला प्रशासन ने जब कुंभ मेला के दौरान जमीन ली थी, तब शर्तो का उल्लंघन किया था। उनको खाली जमीन दी गई और उन्होंने वहां पक्का निर्माण कर लिया है। अभी तक जमीन के लिए अनुमति नहीं दी गई है।


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