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उत्तर प्रदेश के एडेड माध्यमिक कॉलेजों में बड़ी संख्या में सांठगांठ से शिक्षकों की हुई नियुक्तियां

उत्तर प्रदेश के एडेड माध्यमिक कॉलेजों में ऐसे शिक्षक बड़ी संख्या में तैनात हैं जिनका अधियाचन (रिक्त पद का ब्योरा) चयन संस्था को सही से भेजा ही नहीं गया।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 18 Jun 2020 07:28 PM (IST)Updated: Thu, 18 Jun 2020 07:29 PM (IST)
उत्तर प्रदेश के एडेड माध्यमिक कॉलेजों में बड़ी संख्या में सांठगांठ से शिक्षकों की हुई नियुक्तियां
उत्तर प्रदेश के एडेड माध्यमिक कॉलेजों में बड़ी संख्या में सांठगांठ से शिक्षकों की हुई नियुक्तियां

प्रयागराज [धर्मेश अवस्थी]। शिक्षकों की नियुक्तियां सिर्फ सत्यापन में हेराफेरी करके ही नहीं हुईं, बल्कि चयन में सांठगांठ का खेल खूब फूला फला है। उत्तर प्रदेश के एडेड माध्यमिक कॉलेजों में ऐसे शिक्षक बड़ी संख्या में तैनात हैं, जिनका अधियाचन (रिक्त पद का ब्योरा) चयन संस्था को सही से भेजा ही नहीं गया। इतना ही नहीं अफसरों ने चयन प्रक्रिया का अनुपालन किए बिना रिक्त पद के सापेक्ष तैनाती दे दी। शासन के आदेश पर ऐसे शिक्षकों की खोज की जा रही है। जल्द ही ऐसे जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) कार्रवाई के दायरे में होंगे, जिन्होंने आंख मूंदकर नियुक्तियां बांटी हैं। 

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अशासकीय सहायताप्राप्त (एडेड) माध्यमिक कॉलेजों में प्रधानाचार्य, प्रवक्ता व प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक के रिक्त पद पर चयन करने का जिम्मा उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को है। नियम है कि संबंधित संस्था से अधियाचन मंगाकर डीआइओएस चयन संस्था को भेजें। कॉलेजों का प्रबंधतंत्र चयनित की जगह चहेते शिक्षकों कार्यभार ग्रहण कराता रहा है। डीआईओएस से सांठगांठ करउनकी मुराद पूरी होती रही है। ऐसे शिक्षकों का विनियमितीकरण सरकारें करती रहीं हैं, क्योंकि उनमें कोर्ट का आदेश आड़े आता रहा।

इस बार भी शीर्ष कोर्ट में संजय सिंह व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य से संबद्ध सिविल अपीलों में मांग की गई थी कि शिक्षकों का विनियमितीकरण किया जाए। शासन को सूचना है कि प्रदेश में हजारों शिक्षक नियमानुसार नियुक्त नहीं है, क्योंकि चयन बोर्ड नियमित चयन करता रहा है। डीआईओएस ने जिलों से रिक्त पदों का अधियाचन भेजा ही नहीं। कुछ डीआईओएस ने अधियाचन भेजने का नाटक किया, यानी अपने कार्यालय के डिस्पैच में पत्र दर्ज कराया, लेकिन वह चयन बोर्ड नहीं पहुंचा। जो रिक्त पद चयन बोर्ड तक पहुंचे भी उन पदों पर नियुक्ति कर ली गई, जब चयनित अभ्यर्थी कालेजों में पहुंचे तो उन्हें बैरंग लौटना पड़ा। ऐसी ही अनगिनत अनियमितताओं की जांच शुरू है।

तीन अफसरों से तलब की गई रिपोर्ट : शासन के निर्देश पर 19 मार्च को माध्यमिक शिक्षा के 15 अफसरों की बैठक हुई। माध्यमिक शिक्षा के विशेष सचिव कुमार राघवेंद्र सिंह ने आदेश दिया कि शिक्षा निदेशक विनय कुमार पांडेय, अपर निदेशक डॉ. महेंद्र देव व चयन बोर्ड की सचिव कीर्ति गौतम 20 मार्च तक पांच बिंदुओं पर रिपोर्ट भेज दें। कोरोना संकट की वजह से यह प्रक्रिया ठप रही। अब तेजी से रिकार्ड खंगाले जा रहे हैं।

इन बिंदुओं का ब्योरा जांचा जा रहा

शासन के संयुक्त सचिव जयशंकर दुबे ने इनका जवाब मांगा था।

  • 1. जिला व वर्षवार नियुक्तियों का विवरण?
  • 2. नियुक्तियां मौलिक पर या अल्पकालिक पद पर?
  • 3. उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को अधियाचन भेजा है नहीं?
  • 4. नियुक्त व्यक्तियों को वेतन दिया जा रहा या नहीं, कितने व्यक्तियों को हाईकोर्ट आदेश अनुपालन में वेतन भुगतान किया जा रहा है तथा कब से?
  • 5. नियुक्तियों में चयन प्रक्रिया के अनुपालन की स्थिति, जैसे- विज्ञापन, समिति का गठन, साक्षात्कार में प्राप्त गुणांक व अर्हता आदि की सूचना?
  • 6. नियुक्तियों के सापेक्ष चयन बोर्ड में प्रेषित अधियाचन व नियुक्तियों की स्थिति और चयनित अभ्यॢथयों के कार्यभार ग्रहण की स्थिति?

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