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उत्तर प्रदेश के परिवार न्यायालयों में प्रधान न्यायाधीश नियुक्त, हाई कोर्ट के अधीन करेंगे काम

उत्तर प्रदेश में परिवार न्यायालय के अलग कैडर गठित होने के बाद पहली बार सभी परिवार न्यायालयों के प्रमुख न्यायाधीशों की नियुक्तियां कर दी गई हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2020 09:16 PM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2020 09:16 PM (IST)
उत्तर प्रदेश के परिवार न्यायालयों में प्रधान न्यायाधीश नियुक्त, हाई कोर्ट के अधीन करेंगे काम
उत्तर प्रदेश के परिवार न्यायालयों में प्रधान न्यायाधीश नियुक्त, हाई कोर्ट के अधीन करेंगे काम

प्रयागराज, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में परिवार न्यायालय के अलग कैडर गठित होने के बाद पहली बार सभी परिवार न्यायालयों के प्रमुख न्यायाधीशों की नियुक्तियां कर दी गई हैं। जिला जज रैंक के इस पद पर तैनाती के लिए कई अपर जिला जजों को पदोन्नति भी दी गई है। तमाम न्यायिक अधिकारियों की प्रोन्नति व तैनाती के कारण कुल 171 न्यायिक अधिकारियों की शिफ्टिंग भी की गई है। परिवार न्यायालय नियमावली लागू होने के बाद प्रधान न्यायाधीश को जिला जज की रैंक दी गई है। अब ये सीधे हाई कोर्ट के अधीन काम करेंगे, जो कि अभी तक जिला जज के अधीन काम करते थे।

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प्रयागराज में प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय रामकेश की जगह यहीं पर अपर जिला जज रहे सुनील कुमार चतुर्थ को प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय बनाया गया है। जबकि रामकेश अपर जिला जज के पद पर जिला न्यायालय इलाहाबाद में ही नियुक्त किए गए हैं। इसी प्रकार से प्रतापगढ़ में प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय जय प्रकाश पांडेय इसी पद रहेंगे, उनकी रैंक जिला जज के बराबर कर दी गई है। कौशांबी में अनुपम कुमार को अपर जिला जज के पद से प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय के पद पर नियुक्ति दी गई है। इस पद पर रहे दिनेश तिवारी कौशांबी में ही अपर जिला जज के पद नियुक्त किए गए हैं। इसी प्रकार से प्रदेश के अन्य जिलों में भी प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय के पदों पर नियुक्तियां की गई हैं।

परिवार न्यायालय के अलग कैडर का गठन होने के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गत दिनों प्रदेश सरकार को न्यायिक अधिकारियों की सूची के साथ परिवार न्यायालयों में नियुक्तियां करने की संस्तुति भेजी थी। प्रदेश सरकार की मंजूरी मिल जाने के बाद यह नियुक्तियां की गई हैं। परिवार न्यायालय के अलग कैडर का गठन होने के बाद पारिवारिक मुकदमों के निस्तारण में तेजी आने की उम्मीद है। इनकी मॉनीटरिंग सीधे हाईकोर्ट द्वारा किए जाने से भी मुकदमों की संख्या में कमी लाने और समयबद्ध निस्तारण करने में सहूलियत होगी।


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