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क्या हो रहा है दिल्ली में, इन्हें नहीं मतलब, कृषि बिल विरोधी आंदोलन से इतर Prayagraj में अन्नदाता जुटे हैं खेती में

दिल्ली और एनसीआर में कृषि बिल विरोधी आंदोलन के बीच प्रयागराज के किसान खेती में जुटे हैैं। पारंपरिक खेती से लेकर सब्जी उत्पादक किसान सब्जियों की खेती समाप्त होने पर नई फसल की बुवाई के लिए खेतों की तैयारी में जुटे हुए हैं।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Sun, 07 Feb 2021 04:31 PM (IST)Updated: Sun, 07 Feb 2021 04:31 PM (IST)
क्या हो रहा है दिल्ली में, इन्हें नहीं मतलब, कृषि बिल विरोधी आंदोलन से इतर Prayagraj में अन्नदाता जुटे हैं खेती में
कृषकों का कहना है कि किसान अपनी मेहनत की कमाई करेगा तभी घर परिवार व देश तरक्की करेगा।

प्रयागराज, जेएनएन।  दिल्ली और एनसीआर में कृषि बिल विरोधी आंदोलन के बीच प्रयागराज के किसान खेती में जुटे हैैं। पारंपरिक खेती से लेकर सब्जी उत्पादक किसान सब्जियों की खेती समाप्त होने पर नई फसल की बुवाई के लिए खेतों की तैयारी में जुटे हुए हैं। वहीं कुछ किसान अपने परिवार के लोगों सहित खेतों में पहुंचकर सब्जी की तैयारी कर बाजारों में जाने की तैयारी भी कर रहे हैं।

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खेती और फसलों की रक्षा करने से ही फुरसत नहीं

पारंपरिक खेती करने वाले किसान अपनी खेतों में बोई गई फसल को बचाने के लिए बाड़ेबंदी भी कर रहे हैं। घूरपुर क्षेत्र के जगबंधनपुर गांव निवासी रामराज बिंद, गेहूं व सरसों को बेसहारा जानवरों से सुरक्षा के लिए कई दिनों से बांस की बाड़ेबंदी करने में जुटे हुए हैं। रामविलास बिंद का कहना है कि अन्न पैदा करेंगे तभी पेट भऱेगा न कि आंदोलन से। सेमरी निवासी बाबूजी पटेल, नवरंग पटेल बैगन व गोभी की फसल के समाप्त होने पर खीरा की बुवाई के लिए खेत की तैयारी में कई दिनों से लगे हुए हैं। उनका कहना है कि अभी बुवाई कर देंगे तो गर्मियों के मौसम में खीरे का उत्पादन अच्छा मुनाफा दे सकता है। बैगन की खेती करने वाले राम सजीवन का कहना है कि उनका आंदोलन से बहुत वास्ता नहीं है। अपने खेतों से तथा उनसे उत्पादन होने वाले सब्जियों को बाजार में बेचकर ही परिवार चलाना है। नन्हें पटेल व उनका परिवार पूरी तरह से सब्जियों की खेती पर ही निर्भर है। इस समय आलू, बैगन पालक व धनिया तैयार है। जिसे वे मंडियों सहित स्थानीय बाजारों में ले जाकर बिक्री करते हैं।


बोले किसान, हम तो खेती में हैं रमे

इन सभी कृषकों का कहना है कि किसान अपनी मेहनत की कमाई करेगा तभी घर परिवार व देश तरक्की करेगा। आंदोलन में भाग लेने का उनके पास समय नहीं है। यह बेवजह का नाटक किया जा रहा है। चिरौरा गांव निवासी डॉ. श्यामलाल यादव ने भी कृषि बिल विरोधी आंदोलन को  बेमतलब बताया। सेमरी निवासी मानिक चंद पटेल ने कहा कि वर्तमान समय में आलू व सरसों की फसल तैयार है जिसमें वह रमे हुए हैं। सराय हुसैना गांव निवासी हरि प्रताप पटेल ने बताया कि वह सब्जियों की खेती में ही सारा समय दे रहे हैं। उन्हें आंदोलन से कोई लेना देना नहीं है। 


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