प्रयागराज नाम पर एक और जनहित याचिका दायर
याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 51 (फ) में भारत के हर नागरिक को प्राचीन धरोहर, संस्कृति की सुरक्षा करने का अधिकार है। बिना केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति के राज्य सरकार की ओर से जिले का नाम बदलना अनुचित है।
प्रयागराज : इलाहाबाद जिले का नाम बदलकर प्रयागराज किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में एक और जनहित याचिका दाखिल की गई है।
याचिकाकर्ता मोहम्मद अफ्फान के अधिवक्ता साहिब अली सिद्दीकी के मुताबिक सोमवार को याचिका पर नोटिस राज्य और केंद्र सरकार को दिया जाएगा। इस मामले की गुरुवार या शुक्रवार को सुनवाई होने की संभावना है। याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 51 (फ) में भारत के हर नागरिक को प्राचीन धरोहर, संस्कृति की सुरक्षा करने का अधिकार है। बिना केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति के राज्य सरकार की ओर से जिले का नाम बदलना अनुचित है। याचिका में आधार लिया गया है कि मुगल शासक अकबर ने प्रयाग का नाम नहीं बदला, बल्कि उन्होंने इलाहाबाद के नाम से नया जिला बनाया था। कार्यवाहक सीजे के प्रेम कुमार बने जेपीपीएस :
प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर के संयुक्त निबंधक सह संयुक्त प्रमुख (जेपीपीएस) निजी सचिव के रूप में प्रेम कुमार को तैनाती दी गई है। महानिबंधक मोहम्मद फैज आलम की ओर से जारी अधिसूचना के बाद प्रेम कुमार ने कार्यभार ग्रहण कर लिया है। उच्च न्यायालय कर्मचारी अधिकारी संघ के महासचिव बृजेश शुक्ल ने प्रेम कुमार को बधाई दी है। साथ ही संघ के अध्यक्ष न्यायमूर्ति बालकृष्ण नारायण और महानिबंधक मोहम्मद फैज के प्रति आभार जताया है। न्यायमूर्ति विजयलक्ष्मी को हाईकोर्ट बार ने दी विदाई
प्रयागराज : हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति विजयलक्ष्मी को शनिवार को हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने भावभीनी विदाई दी है। न्यायमूर्ति श्रीमती लक्ष्मी ने कहा कि किसी न्यायमूर्ति के निर्णयों का मूल्याकन केवल बार ही कर सकती है। उन्होंने अपना कर्त्तव्य निभाया है। उम्मीद है कि बार एसोसिएशन के अधिवक्ता अपनी विद्वता के बल पर उच्च न्यायालय का नाम रोशन करेंगे।
एसोसिएशन के अध्यक्ष इंद्र कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि न्यायमूर्ति लक्ष्मी का स्नेह व सहयोग बार एसोसिएशन के सदस्यों को अभिभावक के रूप में मिला है। वह निरोग रहे व दीर्घायु हों। इसके पहले एसोसिएशन के अध्यक्ष व महासचिव ने पुष्प गुच्छ देकर उनका स्वागत किया। संयुक्त सचिव प्रशासन प्रशात सिंह ने कहा कि किसी भी जूनियर या फिर सीनियर अधिवक्ता को कभी उनसे शिकायत नहीं रही है। साथ ही चार वर्ष में किसी निर्णय पर असंतोष नहीं हुआ। यहा अफजल अहमद खान दुर्रानी, मुन्ना यादव, श्रीराम पाडेय, आनंद मोहन पाडेय, अविनाश चंद्र तिवारी, कंचन सिंह आदि मौजूद रहे।